विषय सूची 1 पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार 1.1 वंदना एवं प्रार्थना 2 टीका टिप्पणी और संदर्भ 3 संबंधित लेख पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार वंदना एवं प्रार्थना राग भूपाली - तीन ताल कैसैं बिनय सुनावौं, स्वामी! छिपी न कछु तुम सौं अंतर की, सब के अंतरजामी॥ सब बिधि हीन, मलिन-मति मो पै परम अनुग्रह कीन्हौ। निज स्वभावबस मान, बिपुल जस, धन-बैभव बहु दीन्हौ॥ सब लोकनि में साधु कहायौ, भक्तराज पद पायौ। रह्यौ बासना-बिबस निरंतर नित बिषयन प्रति धायौ॥ कनक-कामिनी-रस-बस निसि-दिन सहज कुमारगगामी। भूल्यौ परम अनुग्रह प्रभु कौ ऐसौ नौंन-हरामी॥ हौं अति कुटिल, कृतघ्री, कामी, नरक-कीट, अघ-भार। निज दिसि देखि, बिरुद लखि, मोहि उबारहु परम उदार॥ टीका टिप्पणी और संदर्भ संबंधित लेख देखें • वार्ता • बदलेंपद रत्नाकर वंदना एवं प्रार्थना • श्रीराधा माधव स्वरूप माधुरी • बाल-माधुरी की झाँकियाँ • श्रीराधा माधव लीला माधुरी • श्रीकृष्ण के प्रेमोद्गार • श्रीराधा के प्रेमोद्गार-श्रीकृष्ण के प्रति • प्रेम तत्त्व एवं गोपी प्रेम का महत्त्व • श्रीराधा कृष्ण जन्म महोत्सव एवं जय गान • अभिलाषा वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह क्ष त्र ज्ञ ऋ ॠ ऑ श्र अः