गीता दर्शन -स्वामी अखण्डानन्द सरस्वती महाराज
भाग-6 : अध्याय 9
प्रवचन : 8
आप किसी की भी पूजा करें, पीपल की पूजा करें, गाय की पूजा करें। पति की पूजा करें, पत्नी की पूजा करें, माँ की पूजा करें, बेटे की पूजा करें, स्वामी की पूजा करें। परन्तु आपके हृदय में भगवद्बुद्धि बनी रहे। यदि भगवद्बुद्धि बनी हुई है तो आपकी पूजा में कोई त्रुटि नहीं है और भगवान साक्षात् उसको ग्रहण कर रहे हैं। एक बहनजी हैं बम्बई में। वे खाने को मीठी-मीठी चीज लेकर आती हैं - मैं उनको चिढ़ा देता हूँ कि तुम मेरे लिए नहीं लायी हो मेरे पास जो तुम्हारे भाई साहब रहते हैं उनके लिए लायी हो। वे घर की बनी मीठी-मीठी चीज खायेंगे, अगर मेरे लिए लाना होता तो तुम नमक की चीज लातीं। उसके संकल्प में सचमुच उसके भाई ही रहते हैं, मैं नहीं रहता हूँ। परन्तु उनको क्यों खिलाती हैं - इसलिए कि हमारे साथ रहते हैं, हमारी सेवा करते हैं, हमसे प्रेम करते हैं। न तु मामभिजानन्ति तत्त्वेनातश्च्यवन्ति ते। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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