गीता दर्शन -स्वामी अखण्डानन्द सरस्वती महाराज
भाग-11 : अध्याय 14
प्रवचन : 5
सरला विरला द्वारा श्रद्धांजलि- आज हमारा हृदय दुःखी है, मस्तिष्क बोझिल है, व्यक्त करना मुश्किल है, एक बार तो अन्धकार ही अन्धकार दीख रहा है। इन बचे हुए दिनों के संत्सग का पुण्य-फल हम अपनी प्रिय एंव सम्माननीय दिवंगत प्रधानमन्त्री की सद्गति के लिए समर्पित करते हैं। तथा ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वह देशवासियों को सम्मति प्रदान करें तथा हमारे नये प्रधानमन्त्री जी राजीव गाँधी को सर्वथा सफलता दे-हमें विश्वास है कि श्रद्धेय श्री स्वामी जी महाराज की प्रेरक वाणी से हमें यथेष्ट सम्बल एवं प्रकाश मिलेगा। पूज्य स्वामीजी ने कहा- भगवान की लीला ही ऐसी है कि वह कब, कहाँ और कैसे, किस दिशा में मोड़ लेगी इसका जीवों को पता नहीं चलता। एक भौंरा कमल के प्रेम से रात में बैठा रह गया, कमल बन्द हो गया। वह सोचता था कि रात बीतेगी। सुप्रभात होगा। सूर्योदय होगा। कमल फिर खिलेगा, हँसेगा, ऐसा सोच ही रहा था, इतने में एक हाथी आया और उसने कमल को उखाड़कर अपने मुँह में डाल दिया। सब उसका मनोराज्य, मनोरथ वहीं-का-वहीं रह गया। मनुष्य सोचता है कुछ और, हो जाता है कुछ। किसी के मन में यह कल्पना नहीं थी कि देश के लिए ऐसा महाहानिकारक और विश्व-मानवता के लिए भी इतना ही हानिकारक यह दुर्घटना, यह हत्याकाण्ड, बर्बर नृशंस हत्याकांण्ड हम लोगों के सामने आयेगा, कान से सुनेंगे, देखेंगे। व्यक्ति तो न जाने कितने आते-जाते हैं, जीवन-मरण सबके साथ लगा है परन्तु जिससे राष्ट्र का, विश्व का, मानव का हित होता हो, उसके न रहने पर एक बहुत बड़ा धक्का लगता है। हमारी प्रियदर्शिनी इन्दिरा गाँधी-गाँधी तो बाद में हुई-इनके पूर्ववर्ती लोगों से हमारा बहुत प्रेम-श्रद्धा का सम्बन्ध था। जब हम गंगा-स्नान करने जाते थे वहाँ स्वरूपरानी रोज स्नान करने जाती थीं। स्वरूपरानी नेहरू छोटी-सी नाँव पर देवता की तरह चुपचाप भोजन करती हुई जाती थीं। पंडित मोतीलाल नेहरू की क्या प्रतिष्ठा थी! पंडित जवाहरलाल नेहरू ने देश के लिए क्या-क्या काम किया! एक वंश-परम्परा अनोखी थी और देश के लिए गौरव की वस्तु थी। इसमें आयीं इन्दिरा गांधी। बाल्यावस्था से ही बहुत होनहार। मैंने तो पढ़ा है और माँ आनन्दमयी बताया करती थीं कि जब कमला नेहरू उनके पास आतीं तो वहाँ माँ की गोद में कभी सो जातीं, कभी खेलती रहती, कभी दर्शन करती। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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