गीता दर्शन -अखण्डानन्द सरस्वती पृ. 643

गीता दर्शन -स्वामी अखण्डानन्द सरस्वती महाराज

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भाग-5 : अध्याय 8
प्रवचन : 6

गीता के आठवें अध्याय में परमात्मा के अनुचिन्तन और अनुस्मरण दोनों की महिमा और दोनों का फल बताया गया है। अनुचिन्तन और अनुस्मरण, चिन्तन में जो चिन्तन करता है, उसका बल काम करता है और स्मरण में जो सुनी-देखी, अनुभव की हुई वस्तु होती है, उस वस्तु का स्फुरण, काम करता है। कर्ता की प्रधानता से होता है चिन्तन और अनुभूत वस्तु की प्रधानता से होता है स्मरण। चिन्तन हमें जोर लगाकर करना चाहिए। जब अनुभव हो जायेगा तो स्मरण अपने आप होने लगेगा। आपको अपने प्रिय, अप्रिय दोनों का स्मरण बिना बल लगाये एकाएक हो जाता है? माँ की याद आती है, बाप की याद आती है, अपने मित्र की, पुत्र की याद आती है। यह स्मरण जो बार-बार सुना हुआ है, बार-बार देखा हुआ है, जिस दुःख का, सुख का अनुभव हुआ है, उसका स्मरण अपने हृदय में उतरता है। स्मरण अवतार है। चिन्तन उतार है। चिन्तन हमारी ओर से उस वस्तु का किया जाता है जिसका हम चिन्तन करना चाहते हैं। परं पुरुषं दिव्यं याति पार्थानुचिन्तयन्। पहले दिया चिन्तन और बाद में दिया अनुस्मरण।

कविं पुराणमनुशासितारमणोरणीयांसमनुस्मरेद्य

सर्वस्य धातारमचिन्त्यरूपमादित्यवर्णं तमस परस्तात् ॥[1]
प्रयाणकाले मनसाचलेनभक्त्या युक्तो योगबलेन चैव ।
भ्रुवोर्मध्ये प्राणमावेश्य सम्यक्स तं परं पुरुषमुपैति दिव्यम् ॥[2]
यदक्षरं वेदविदो वदन्ति विशन्ति यद्यतयो वीतरागा ।
यदिच्छन्तो ब्रह्माचर्यं चरन्ति तत्ते पदं संग्रहेण प्रवक्ष्ये ॥[3]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. श्लोक 8.9
  2. श्लोक 8.10
  3. श्लोक 8.11

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गीता दर्शन -स्वामी अखण्डानन्द सरस्वती महाराज
क्रमांक प्रवचन पृष्ठ संख्या
भाग-1 (अध्याय 1-4)
1. प्रवचन : 1 1
2. प्रवचन : 2 14
3. प्रवचन : 3 28
4. प्रवचन : 4 44
5. प्रवचन : 5 59
6. प्रवचन : 6 75
7. प्रवचन : 7 89
8. प्रवचन : 8 106
9. प्रवचन : 9 122
10. प्रवचन : 10 139
11. प्रवचन : 11 154
भाग-2 (अध्याय-5)
12. प्रवचन : 1 174
13. प्रवचन : 2 188
14. प्रवचन : 3 202
15. प्रवचन : 4 214
16. प्रवचन : 5 228
17. प्रवचन : 6 241
18. प्रवचन : 7 254
19. प्रवचन : 8 268
20. प्रवचन : 9 284
21. प्रवचन : 10 299
22. प्रवचन : 11 314
23. प्रवचन : 12 325
भाग-3 (अध्याय-6)
24. प्रवचन : 1 337
25. प्रवचन : 2 347
26. प्रवचन : 3 357
27. प्रवचन : 4 369
28. प्रवचन : 5 381
29. प्रवचन : 6 391
30. प्रवचन : 7 404
31. प्रवचन : 8 418
32. प्रवचन : 9 433
भाग-4 (अध्याय-7)
33. प्रवचन : 1 448
34. प्रवचन : 2 463
35. प्रवचन : 3 479
36. प्रवचन : 4 494
37. प्रवचन : 5 508
38. प्रवचन : 6 522
39. प्रवचन : 7 535
40. प्रवचन : 8 549
41. प्रवचन : 9 562
भाग-5 (अध्याय-8)
42. प्रवचन : 1 576
43. प्रवचन : 2 588
44. प्रवचन : 3 603
45. प्रवचन : 4 615
46. प्रवचन : 5 628
47. प्रवचन : 6 643
48. प्रवचन : 7 659
49. प्रवचन : 8 673
50. प्रवचन : 9 687
भाग-6 (अध्याय-9)
51. प्रवचन : 1 704
52. प्रवचन : 2 720
53. प्रवचन : 3 731
54. प्रवचन : 4 743
55. प्रवचन : 5 758
56. प्रवचन : 6 773
57. प्रवचन : 7 786
58. प्रवचन : 8 799
59. प्रवचन : 9 808
60. प्रवचन : 10 822
भाग-7 (अध्याय-10)
61. प्रवचन : 1 834
62. प्रवचन : 2 849
63. प्रवचन : 3 864
64. प्रवचन : 4 879
65. प्रवचन : 5 891
66. प्रवचन : 6 903
67. प्रवचन : 7 916
68. प्रवचन : 8 928
69. प्रवचन : 9 942
70. प्रवचन : 10 953
भाग-8 (अध्याय-11)
71. प्रवचन : 1 969
72. प्रवचन : 2 980
73. प्रवचन : 3 994
74. प्रवचन : 4 1008
75. प्रवचन : 5 1020
76. प्रवचन : 6 1034
77. प्रवचन : 7 1048
78. प्रवचन : 8 1063
79. प्रवचन : 9 877
80. प्रवचन : 10 1090
भाग-9 (अध्याय-12)
81. प्रवचन : 1 1104
82. प्रवचन : 2 1117
83. प्रवचन : 3 1131
84. प्रवचन : 4 1144
85. प्रवचन : 5 1160
86. प्रवचन : 6 1175
87. प्रवचन : 7 1189
88. प्रवचन : 8 1201
89. प्रवचन : 9 1214
90. प्रवचन : 10 1226
भाग-10 (अध्याय-13)
91. प्रवचन : 1 1234
92. प्रवचन : 2 1246
93. प्रवचन : 3 1261
94. प्रवचन : 4 1274
95. प्रवचन : 5 1285
96. प्रवचन : 6 1298
97. प्रवचन : 7 1312
98. प्रवचन : 8 1324
99. प्रवचन : 9 1337
100. प्रवचन : 10 1350
भाग-11 (अध्याय-14)
101. प्रवचन : 1 1370
102. प्रवचन : 2 1385
103. प्रवचन : 3 1400
104. प्रवचन : 4 1415
105. प्रवचन : 5 1428
106. प्रवचन : 6 1442
107. प्रवचन : 7 1460
108. प्रवचन : 8 1476
109. प्रवचन : 9 1492
भाग-12 (अध्याय-15)
110. प्रवचन : 1 1506
111. प्रवचन : 2 1518
112. प्रवचन : 3 1534
113. प्रवचन : 4 1551
114. प्रवचन : 5 1564
115. प्रवचन : 6 1579
110. प्रवचन : 7 1595
111. प्रवचन : 8 1611
112. प्रवचन : 9 1626
113. प्रवचन : 10 1642
भाग-13 (अध्याय-16)
114. प्रवचन : 1 1656
115. प्रवचन : 2 1669
116. प्रवचन : 3 1684
117. प्रवचन : 4 1700
118. प्रवचन : 5 1713
119. प्रवचन : 6 1728
120. प्रवचन : 7 1741
121. प्रवचन : 8 1757
122. प्रवचन : 9 1767
123. प्रवचन : 10 1782
124. अंतिम पृष्ठ 1797

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