गीता दर्शन -स्वामी अखण्डानन्द सरस्वती महाराज
भाग-12 : अध्याय 15
प्रवचन : 1
प्रश्न: हम चौदहवें अध्याय में प्रवेश करें उसके पूर्व चौदहवें अध्याय की भूमिका एवं सन्दर्भ के बारे में हम श्रद्धेय स्वामीजी से संक्षेप में अपेक्षा रखते हैं कि वे हमें प्रवेश करावें। इससे आवश्यक पृष्ठभूमि बनेगी! उत्तरः तेरहवें अध्याय में ब्रह्मतत्त्व का सम्पूर्ण निरूपण किया गया है। चर-अचर स्थावर-जंगम सब परमात्मा का स्वरूप है। जो कुछ प्रपंच चेतन मालूम पड़ता है और जो कुछ अचेतन मालूम पड़ता है। मालूम पड़ते हैं दो तरह के परन्तु हैं सब परमात्मा के ही स्वरूप। इस बात को समझने के लिए तेरहवें अध्याय के प्रारम्भ में क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ का उल्लेख किया है। और बीच-बीच में- प्रकृति और पुरुष, क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ, सर्वभूत और सर्व में स्थित परमात्मा- समं सर्वेषु भूतेषु तिष्ठन्तं परमेश्वरम् । |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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