गीता दर्शन -स्वामी अखण्डानन्द सरस्वती महाराज
भाग-12 : अध्याय 15
प्रवचन : 9
प्रश्न: हम लोग चौदहवें अध्याय के उपसंहार की ओर हैं। कल जैसा निवेदन किया था कि अब उपसंहार में चौदहवें अध्याय का सार पूज्य स्वामीजी महाराज समेटेंगे। उपसंहार में प्रश्न की आवश्यकता नहीं है। उत्तर - समदु:खसुख: स्वस्थ: समलोष्टाश्मकाञ्चन: । भगवान श्रीकृष्ण चाहते हैं कि हमारा हृदय सर्वदा प्रेम से, आनन्द से, अमृत से भरपूर रहे। इसके लिए जीवन कैसा होना चाहिए? किमाचारः? अर्जुन का प्रश्न यह है कि गुणातीत का आचरण कैसा होता है? उसका उत्तर दे रहे हैं। इसमें पहली बात यह है कि हम सुख से चिपक जाते हैं और दुःख से घबड़ाते हैं। ‘ख’ शब्द जो है, वह सुख में भी वही है और दुःख में भी वही है। ‘ख’ माने हृदयाकाश, जिसमें तारे छिटकते हैं, जिसमें चाँदनी फैलती है, जिसमें सूर्य का प्रकाश होता है। जिसमें इतने ग्रह, नक्षत्र, तारे, आकाश-गंगा का निवास है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ श्लोक 14.24-27
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