श्रीकृष्णकर्णामृतम् -श्रीमद् अनन्तदास बाबाजी महाराज
श्रीलीलाशुक बोले- तुम्हारी कैशोर चपलता भरी दानलीला, पुष्पहरण लीला, पथरोध लीला में राधारानी को रोकने के लिए तुम्हारी उन्मुखता या उत्कण्ठा- ये सब लीलायें मेरे चित्त में धारावाहिक रूप से स्फुरित हों। इन लीलाओं में श्रीमती राधारानी की रूपमाधुरी का अद्भुत उच्छलन देखकर आनन्दसिन्धु श्रीकृष्ण की सुखाब्धि- तरंगें भी उच्छलित हो उठती हैं। श्रीचैतन्यचरितामृत में वर्णन है- |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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