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- “देखिनु से श्याम, जिनि कोटि काम,
- वदन जितल शशी।
- भाङ् धनु ठाम, नयनेर वाण,
- हासि खसे सुधाराशि।।
- सइ एमन सुन्दर कान।
- हेरि से मुरति, सती छाड़े पति,
- तेजि लाज भय मान।।
- बड़ो कारिकरे, कुँदिले ताहारे,
- अंगे मदनेर शरे।
- युवती धरम, धैर्यभुजंगम्,
- दमन करिबार तरे।।
- अति सुशोभित, वक्षः विस्तारित,
- देखिनु दर्पणाकार।
- ताहार उपरे, माला विराजित,
- कि दिबो उपमा तार।।
- नाभिर उपरे, लोम-लतावली,
- सापिनी आकार शोभा।
- भुरुर बोलनी, कामधनु जिनि,
- इन्द्रधनुकेर आभा।।
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