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- सहस्रे सहस्रे कतो, धाय जेनो उनमत,
- तोमा देखिबार आशा करि।
- साक्षात् तोमार देखा, थाकु ताहा पाबे कोथा,
- चित्तेहो ना पाय देखा शारि।।
- यद्वा, उपनिषदादि, सहस्र से भाव साधि,
- आद्यापि ना देखे एइ रूप।
- तबे यदि बोलो सेइ, अस्फूर्ति सकल जेइ,
- केमने देखिबे सेइ रूप।।
- कहि शुनो ते कारणे, जतो गोपांगनागणे,
- नयनेर दृश्य तुमि सदा।
- तबे जे साक्षात् हैला, किबा कृपा प्रकाशिला,
- कहो मोरे से नियम-कथा।।
- एइ मते पुनर्बार, देखे शोभा मनोहर,
- गोविन्देर श्रीमुखकिरण।
- सौष्ठव वर्धिते चाहे, वर्णना से नाहि हये,
- सशये पुछये सेइक्षण।।94।।
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