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- मने इहा उट्टंकिया, कहे अति हर्ष पाइया,
- अये कृष्ण यदि बोलो हेनो।
- अन्य– नेत्र दृश्य नहि, तुमि गोपीभावमयी,
- तेंइ तोरे देखा दिलो जेनो।।
- तबे शुनो तार कथा, प्राकृत पुरुष एथा,
- मोर देह एइ विद्यमान।
- पुरुषेर दुर्घटन, एइरूप दरशन,
- एइ लागि हर्ष स्फूर्ति भान।।
- तबे यदि बोलो हेनो, पुरुषदेह नओ केनो,
- ताहातेह क्षोभ हैलो किये।
- गोपीभावे जेइ भजे, तारि दृश्य आमि व्रजे,
- तबे शुनो तदुत्तर दिये।।
- वक्र करि शिर चालि, कहे न्यूनाधिक बोलि,
- शुनो शुनो ओहे व्रजधन।
- वेणुनादमत्ता जतो, त्रिजगत नारी कतो,
- तथा कतो मुनिकन्यागण।।
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