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- हेरि से मुरति, सती छाड़े पति,
- तेजि लाज भय मान।।
- बड़ो कारिकरे, कुँदिले ताहारे,
- अंगे मदनेर शरे।
- युवती धरम, धैर्य भुजंगम्,
- दमन करिबार तरे।।
- अति सुशोभित, वक्ष विस्तारित,
- देखिनु दर्पणाकार।
- ताहार उपरे, माला विराजित,
- कि दिबो उपमा तार।।
- नाभिर उपरे, लोम लतावलि,
- सापिनी आकार शोभा।
- भुरुर बलनी, कामधनु जिनि,
- इन्द्रधनुकेर आभा।।
- चरण नखरे, विधु विराजित,
- मणिर मञ्जीर ताय।
- चण्डीदास हिया, से रूप हेरिया,
- चञ्चल हइया जाय।।”
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