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- “रासलीला जयत्येषा यया संयुज्यतेऽनिशम्।
- हरेविर्दग्धतभेर्या राधासौभाग्य दुन्दुभिः।।”
अर्थात् रासलीला की जय हो। इस रासलीला के द्वारा ही श्यामसुन्दर की विदधतारूपी भेरी और श्रीराधा की सौभाग्य-दुन्दुभि कानों को आनन्द देने वाली तुमुल ध्वनि के साथ निनादित होती हैं। ऐसे रसमय, ऐसे आनन्दमय, ऐसे विदग्ध, ऐसे सुन्दर नवकिशोर श्यामसुंदर की सेवा करने की साध किस भक्त की नहीं होती।।3।।
- श्रील यदुनन्दन ठाकुर का पद्यानुवाद
- एइ सब कथा आगे सब व्यक्त हबे। तृतीय श्लोकेर अर्थ कहि किछु एबे।।
- कृष्ण पार्श्व सर्वमुख्या राधा गुणवती। अनुराग सौभाग्यपूर्णा पूर्वे जार ख्याति।।
- तार पार्श्व आछे सखी तार उपासिका। आपना के तार माझे जाने सेइ एका।।
- राधिकार परिवार आमि सर्वथाय। आराधिबो किशोर शेखर श्यामराय।।
- चामर दोलाबो आर जोगाबो ताम्बूल। पाद सम्वाहनादि सेवा अनुकूल।।
- बाल शब्दे किशोर वयस शास्त्रे कहे। स्मृति अलंकार आद्ये इहा व्यक्त हये।।
- त्रिविध वयस कृष्णेर विवेचना काजे। षोधशाब्द अंत बाल्य ताते कहियाछे।।
- एइ लागि बाल शब्दे किशोर कहिए। एइ मत एइ ग्रंथे सर्वत्र बुझिये।।
- आर कहि बाल शब्दे काम अवतार। प्रकट अंकुर जेनो विनोद आकार।।
- किशोर आकार कृष्ण व्रजेन्द्रनन्दन। इन्द्रनीलमणि श्यामवर्ण मनोरम।।
- केवल श्रृंगार रसायन मूर्तिमान। श्रीगीतगोविन्द जार लीलारस गान।।
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