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- बाह्यदशा बासि मने, आपने पुरुष माने,
- ताहाते कहये आर बार।
- पुरुषेर दृश्य नहे, अनन्त माधुर्यचये,
- सामान्य सत्री वाञ्छा हय तार।।
- सामान्य नारीओ हैले, ओ माधुर्य नाहि मिले,
- एरूप विचार करि मने।
- कहये सदैन्य करि, बिना जतो व्रजनारी,
- ना देखये जे अन्य नयने।।
- व्रजनारी आँखिगण, श्लाघा पाइया अनुक्षण,
- दर्शन करये से माधुरी।
- कहितेइ पुनः सेइ, विलास सौष्ठव जेइ,
- देखिया कहये बलिहारी।।
- प्रतिदिने प्रतिक्षणे, प्रत्येक निमिषगणे,
- मूर्तिमन्त विहारेर क्रम।
- परिपाटी मनोहर, जगतेर तापहर,
- निरन्तर करये सृजन।।
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