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- “सुधा छानिया केबा, ओ सुधा ढेलेछे गो,
- तेमति श्यामेर चिकणदेहा।
- अञ्जन गञ्जिया केबा, खञ्जन बसाइलो रे,
- चाँद निङ्ड़ि कैलो थेहा।।
- से थेया निङ्ड़ि केबा, मुखानि बनालो रे,
- जवा निङ्ड़िया कैलो गण्ड।
- बिम्बफल जिनि केबा, ओष्ठ गड़लो रे,
- भुज जिनिया करि शुण्ड।।
- कम्बु जिनिया केबा, कण्ठ बनाइलो रे,
- कोकिल जिनिया सुस्वर।
- आरद्र माखिया केबा, सारद्र बनाइलो रे,
- ओइछन हेरि पीताम्बर।।
- विस्तारि पाषाणे के बा, रतन बसाइलो रे,
- एमति लागये बुकरे शोभा।
- कानड़ कुसुम केबा, सुषम करिलो रे,
- एमति तनुर देखि आभा।।
- आदलि उपरे के बा, कदलि रोपिलो रे,
- ओइछन देखि ऊरुयुग।
- अंगुलि उपरे के बा, दर्पण बसाइलो रे,
- चण्डीदास देखे युगे युग।।”
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