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- कटाक्ष प्रवाहरूपा, राधापूर्ण सुधाकृपा,
- राधा प्रति क्षेपे अनुक्षण।
- जाहा देखिबार तरे, उत्कण्ठाते आँखि भरे,
- ताहा दिया राखिलो जीवन।।
- मदमत्त गज जिति, मन्थर मन्थर गति,
- निकटे आसिया उपस्थित।
- अमृत प्रवाह हेनो, वेणुनाद मनोरम,
- सेइ जेनो त्रिवेणीर रीत।।
- वेणुनाद निज-हिये, सहजेइ मन्दस्मिते,
- दशन किरण युक्त किबा।
- वेणुध्वनि सुकल्लोल, युक्त हैया जार बले,
- त्रिवेणीर मुखे धरे किबा।।
- दन्तकान्ति मन्दाकिनी, कटाक्ष यमुना मानि,
- बिम्बाधर कान्ति सरस्वती।
- एइ त्रिवेणीर धारा, मुखे बहे स्रोतपारा,
- स्निग्ध कैलो मोर नेत्र अति।।
- कहितेइ कृष्णपदे, नेत्र पड़े अति साधे
- पूर्वेर प्रार्थनागण जतो।
- साफल्य हइलो जानि, निजभाग्ये श्लाध्य मानि,
- कहे श्लोक महामृत मतो।।80।।
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