श्रीकृष्णकर्णामृतम् -श्रीमद् अनन्तदास बाबाजी महाराज
राधारानी बोलीं- अहो! ऐसी अवस्था में भरी मेरे नयन उन्हीं व्रजकिशोर के दर्शन की आकांक्षा करते हैं। अथवा नयनों का भी क्या दोष? यह व्रजकिशोर मूर्ति है ही विश्वमोहन। पदकर्ता ने व्रजबाला की उक्ति व्यक्त की है-
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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