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- दिव्योन्माद-लक्षण, कराय कृष्ण स्फुरण
- उज्ज्वले आछये व्यक्त ताहा।
- पूर्वोक्त प्रेम जेह, परावस्था भाव सेह
- दुइरूप सदा स्थिति इहा।।
- रूढ़ अधिरूढ़ नाम, व्यक्त हय आख्यान
- अधिरूढ़ दुइमत हय।
- मोहन मादन नाम, विच्छेद दशार स्थान
- मादन मोहन उपजय।।
- एइ जे मोहन नाम, कोनो गति अनुष्ठान
- भ्रम-आभा वैचित्री प्रकाशे।
- दिव्योन्माद कहि तारे, उद्घूर्णादि जाते धरे
- चित्रजल्प आदि भेदभाषे।।
- चित्रजल्प दश अंग, भ्रमरगीता-प्रसंग
- व्यक्त आछे प्रति स्थान स्थाने।
- दशमे प्रकट ताहा, उद्धव देखिया जाहा
- कहिन व्रजदेवीगणे।।
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