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- कृष्ण कहे – यदि हेनो, दृश्यमानैश्वर्यगण,
- विष्णु वामनाजितिदिगणे।
- कतो कतो महाद्भुत, चरित्र प्रकार पूत,
- तारे भजो हैया एकमने।।
- शुनि मन्द हासि कहे, इन्द्रादि देवताचलये,
- ताँरा परिचर्याय निपुण।
- युद्ध आदि भय जतो, पालनादि कार्य कतो,
- ताहा हैते तव बहुगुण।।
- मधुर ऐश्वर्यमय, उत्तम चरित्रचय,
- साक्षाते आछये दृश्यमान।
- शुनिया गोविन्द कहे-, युद्धादि – विमुख नहे,
- गर्भोदकशायी- पुरुष नाम।।
- भजन करहो तारे, सर्वदेव भजे जारे,
- एतो शुनि लीलाशुक कय।
- अधोनेत्र- चालनाय, कहे करि हय हय,
- तार पुत्र चतुर्मुख हय।।
- ताते हैते सृष्टि आदि, केलिरूप भूमे साधि,
- सर्वाद्भुत चरित्र तोमार।
- मधुर रसमय जतो, लीलासृष्टि अविरत,
- देखो जार नाहि हय पार।।
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