श्रीकृष्णकर्णामृतम् -श्रीमद् अनन्तदास बाबाजी महाराज
‘आस्वादबिन्दु’ टीका
अर्थात् ‘श्रीकृष्ण के जो पादपद्म समस्त भुवनों की शोभा के नित्यलीला- आस्पद (नित्यलीलास्थली) हैं; जो कमलवन की शोभा का गर्व खर्व करते हैं; जो प्रणतजन को आश्रय देने में आसाधारण सामर्थ्यवान होने के कारण आदृत हैं- उन्हीं श्रीकृष्णपादपद्मों से मेरा चित्त कोई अनिर्वचनीय सुख प्राप्त करे।’ आज उन्हीं पूर्वप्रार्थित कृष्णचरणारविन्दों के दर्शन किये, यह अति आश्चर्यजनक है। पहले यह प्रार्थना[2] भी की थी-
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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