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- बहुनारी कुचोपरि निकटे त रहे।
- तारे बहु बहु नति करिबो कि अहे।।
- यदि कहो एक मत बहु गोपनारी।
- सबा सने केमने बा रहये विहारी।।
- शुनो कहि ब्रह्ममोहि जार हेनो लीला।
- एक देहे गोपचय वत्सचय हैला।।
- आर शुनो कहि पुनः लोकपाल नाम।
- जे अनन्त ब्रह्म अण्ड पाले तारे धाम।।
- वैकुण्ठेत विष्णुमत से वैकुण्ठलोक।
- सदा पाले सर्वकाले हेनो जे सुश्लोक।।
- तार बहु गोपबन्धु संगे बहु देहे।
- सुविलास परिहासकि करे सन्देहे।।
- कहितेइ देखे सेइ गोविन्देर अंग।
- गोपी – कुच – कुंकुमेते चर्चित सुरंग।।
- वेणु बाय अंग छाय नाचे मनोहर।
- सविस्मये देखि कहे पड़ि श्लोकवर।।76।।
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