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- मुक्तकण्ठ हइया बलि, शुनो मोर पद्यावली
- ओहे प्राणनाथ दयानिधि।
- कटाक्ष अर्पित मोरे, रसे विघ्न यदि करे
- रहु तबे से कटाक्ष विधि।।
- कटाक्षेर से दाक्षिण्य, औदार्येर प्रावीण्य
- तार लेश अति अल्पकणा।
- ताहा दिया सिञ्चो मोरे, दुःखाग्नि निर्वाण करो
- शुनो बन्धु अकिञ्चन जना।।
- पुनः आइसो रास-माझे, नटवर-वेश-साजे
- क्रीड़ा करो गोपांगना- सने।
- यदि अपराधी आमि, तबु दयानिधि तुमि
- सेइरूपे देहो दरशने।।
- तबे यदि बोलो तुमि, मानिनीर शिरोमणि
- एखनि अवज्ञा कैले मोरे।
- एबे केनो दैन्य करो, लज्जा किबा नाहि धरो
- अन्यांगना उपहार करे।।
- एइ कृष्णेर नर्मभंगी, चित्ते उट्टंकिया व्यंगी
- नेत्रेर चापल्य सञ्चारिया।
- कहिते लागिला राइ, प्रलपिया सेइ ठाँइ
- अद्भुत श्लोक उच्चारिया।।30।।
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