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- यत्नेहो राखिते नारे, प्रकट बाहिरे धरे
- प्रति अंगे फुल्ल रोम-माला।।
- रासे त्यक्त नारीगण, शंका हैलो आगमन
- तार लागि सब सखीगण।
- लीलाशुके कहे वाणी, शीघ्र जाओ बह्ये तुमि
- तारा कोथा जानो विवरण।।
- जाइया पथे चम्पकादि, पुष्प लैया कार्य साधि
- शीघ्र एथा करो आगमन।
- एइ मत सखी-वाणी, लीलाशुक कर्णे शुनि
- आनन्दित हैलो निजमन।।
- सखीर वचन धरि, बाह्य गन्तु मने करि
- दुइ तिन सखी लइया संगे।
- कुञ्जेर बाहिरे आसि, सेइ सखी संगे बसि
- कहे किछु नर्मेर तरंगें।।
- सा काले आभीष्ट सेवा, ना पाइया देख जेबा
- कहे सब सखीगण माझे।।
- सखी स्नेहामृत पाइया, कहे आनन्दित हैया
- उच्चारिया एक श्लोकराजे।।21।।
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