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- एइ गोपांगनाश्रेणी, ताहार जे शिरोमणि
- राधा सुधामुखी अति धन्या।
- तार प्रभु श्यामचंद्र, सर्वानन्द रसिकेंद्र
- सदा मोर चित्ते स्फुरु रम्या।।
- जे मञ्जु मञ्जीरमणि, राधिका प्रणय भणि
- जा ध्वनि श्रुति – मनोहार।
- राइर मञ्जीरध्वनि, शुने जेइ प्रणयिनी
- से स्फुरुक आमार अन्तर।।
- कालिन्दी कमलवन, चरे जेइ हंसगण
- तार कण्ठध्वनि जिनि।
- ताहार आदर करे, जे मञ्जीर ध्वनिवरे
- से ध्वनि निष्कार्षार्थ अभ्यासिनी।।
- किम्बा सेइ हंसगण, स्वकण्ठ कूजितगण
- श्लाघा करे जेइ सर्वक्षणे।
- सेइ कृष्ण- नुपूर ध्वनि, मोर हिये अनुक्षणि
- स्फूर्ति होबो स्वभाव लक्षणे।।17।।
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