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- एमत सखीर वाणी, शुनि राइ सुनयनी
- यत्न करे चिन्ता छाड़िबारे।
- एइकाले रासे त्यक्त, विरहिणीगण जत
- कृष्णगुण गान उच्चैः स्वरे।।
- ताहा शुनि सुधामुखी, व्याकुल हइया दुःखी
- सखी प्रति कहेन वचन।
- इहा सबाकारे सखि !, मान्यकरो एबे देखि
- कहिते हैलो दिव्योन्मादगण।।
- ताहाते साक्षात् हनो, कृष्णचंद्र देखे जेनो
- अन्य नारी भोग करि आइला।
- निज कुच कुंकुमे त, माने अन्य नारी भुक्त
- एइ रूप कृष्ण के देखिला।।
- जेनो कृष्ण आसि कहे, शुनो प्राणप्रिये ओहे
- आइलाउँ आमि शुनि तुया गान।
- सुप्रसन्ना हओ मोरे, जेरूप विनय करे
- राइर साक्षात् होनो ज्ञान।।
- ईर्ष्या करि कहे कथा, जेनो उदासीन मता
- प्रलापे स्वाभिज्ञ प्रकाशय।
- लीलाशुक ताहा शुनि, कहेन राइर वाणी
- एइ श्लोक अति अर्थमय।।26।।
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