श्रीकृष्णकर्णामृतम् -श्रीमद् अनन्तदास बाबाजी महाराज
‘आर्तकण्ठ- रोदन के साथ भूमि पर लोटपोट करते-करते, प्राणबन्धु को दण्डवत् प्रमाण करते – करते, दाँतों में तृण दबाकर कृपाकटाक्षपात के लिए कोटि – कोटि काकुवाद के साथ वृन्दावन में वृक्षों के नीचे निर्जन वास करते हुए बायाँ हाथ कपोल पर रखे शोकाश्रु बहाते– बहाते दिनरात बितायें– ऐसे अनन्यधन्य कोई महापुरुष भी यहाँ है।’
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ प्रार्थना
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