गीता दर्शन -स्वामी अखण्डानन्द सरस्वती महाराज
भाग-6 : अध्याय 9
प्रवचन : 5
जिसके हृदय में भगवान की भक्ति है, अकिंचन भक्ति, उसको दूसरे किसी व्यक्ति या दूसरी किसी वस्तु का सहारा नहीं चाहिए। ये भक्ति के साथ दो लक्षण हैं - ‘अकिंचनो’ मेरा कुछ नहीं है, सब तुम्हारा है। मुझे और किसी का सहारा नहीं है, तुम्हारा सहारा है। ‘अकिंचनो अनन्यगतिः।’ बस, अब आयी भक्ति हृदय में। जिसके हृदय में यह ‘अकिंचन’ भक्ति आ जाती है - ‘सर्वे गुणास्तत्र समासते।’ देवता लोग कहते हैं - भाई यह भगवान का भक्त है, यह मालिक का अनन्य सेवक है - मालिक का कृपा पात्र है। हम लोगों को इसकी सेवा करनी चाहिए। उसके हाथ में इन्द्र बैठकर अच्छा काम करवाते हैं और पाँव में विष्णु बैठकर अच्छी जगह ले जाते हैं। गति विष्णु हैं गति मानें सब कर्मों का जो फल है वह देने वाले स्वयं विष्णु। स्वर्ग में ले जावें, बैकुण्ठ में ले जावें, फल देने वाला विष्णु। सब देवता आकर के बैठते हैं और अकेले नहीं आते हैं, अपने गुणों के साथ आते हैं। जिस कर्म से इन्द्र इन्द्र बना है, वह सत्कर्म लेकर आता है। जिस वरों से वरुण बने हैं - वह आप्यायनी शक्ति। पृथ्वी देवता में जो धारणी शक्ति है वह हमारे अन्दर होनी चाहिए, उसे धारण करें। जल देवता में आप्यायनी शक्ति है, सबको तर करना। तेजस में प्रकाशिनी शक्ति है, सबको ज्ञान देना। वायु में प्राणिनी शक्ति है, सबको जीवन देना, प्राण देना। आकाश में व्यापिनी शक्ति है, सबको अपना आत्मा समझें। अपने साथ जैसा व्यवहार करते हैं वैस औरों के साथ भी करने का ध्यान रखते हैं। सब जितने देवता हैं - पृथ्वी देवता, आपो देवता, अग्नि देवता, वायुर्देवता, ये सब देवता अपने-अपने गुणों को लेकर उसके (भक्त के) जीवन में बैठते हैं। जिसके जीवन में भगवान की भक्ति नहीं है, उसके जीवन में महान गुण नहीं आ सकते। कहाँ से आवेंगे? क्योंकि सब महान गुणों के आगार तो भगवान हैं। वे आवेंगे तो सब गुणों को लेकर आवेंगे। हमेशा के लिए आवेंगे। जो अपने हृदय में भगवान को नहीं बैठायेगा वह मन की मोटर पर बैठा और बुरी -बुरी जगह दौड़ करके जाता रहता है। ‘मनोरथेन बहिः’ घर में उसका मन नहीं लगेगा। अपने हृदय में वह नहीं रहेगा। आप बाहर क्यों जाते हैं? या तो घर में कोई तकलीफ हो, जहाँ हम उद्विग्न हो जाते हैं या बाहर बहुत कुछ आराम मिलता हो, सुख मिलता हो तो जाते हैं। किसी के घर में एअरकण्डीशन नहीं है। दुकान में एअरकण्डीशन लगा है - तो दोपहर के समय एअरकण्डीशन दुकान में चला जायेगा। या तो अपने घर में कोई दुःख है या बाहर सुख मिलता है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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