गीता दर्शन -स्वामी अखण्डानन्द सरस्वती महाराज
भाग-8 : अध्याय 11
प्रवचन : 8
सब सिद्धियों का निरूपण न करके आओ, जप के बारे में थोड़ा विचार करें। हमने ऐसे जप करने वाले देखे हैं, बड़े-बड़े बाल वाला शरीर भगवानृ का मान लिया, एक रोंवा खड़ा हो गया, दुबारा भगवान का लिया, दूसरा रोंवा खड़ा हो गया-ऐसा देखा। आप लोगों को सुनाया होगा-जबलपुर के पास भेड़ाघाट पर एक रामसने ही साधु रहते थे। एक बार कैलाश के महामण्डलेश्वर स्वामी चैतन्यगिरिजी भेड़ाघाट पर आये। देखा तो एक साधु पड़ा हुआ है। चैतन्यगिरिजी के मन में करुणा का उदय हुआ। उसके पास जाकर बोले-महात्मा जवान हो उठो, भगवान के नाम का जप करो, ध्यान करो, अपनी उम्र ऐसे ही क्यों गँवा रहे हो? उमरिया गँवाय दई रे प्रभु नहीं चीन्हा। यह वहीं कि बोली है। उठो जप करो। उन्होंने आँख खोलकर देखा कि यह तो कोई महात्मा है तब बुलाया, हमारे पास आओ। यह हमारी हथेली अपने कान में लगाओ। वह हथेली कान में लगाओ तो उसमें-से ‘राम’‘राम’ की ध्वनि आ रही थी। फिर बोले हमारे सिर पर हाथ रखो। सिर पर हाथ रखा। सिर बोलता था ‘राम’ ‘राम’। बोले मेरी छाती पर अपना कान लगाओ-छाती बोलती थी ‘राम’ ‘राम’ ‘राम’-फिर बोले। हमारे पाँव पर अपना कान लगाओ। पाँव भी बोले ‘राम’ ‘राम’ ‘राम’। अब चैतन्य गिरीजी ने नमस्कार किया। बहुत बड़े विद्वान् थे-बोले महाराज, तुम पड़े रहो। तुम्हारे लिए जप, ध्यान करने की कोई आवश्यकता नहीं है। हमारे वृन्दावन में एक चोर बाबा हैं तो जब मैं जबलपुर जाया करता था तो वे हमारे साथ कभी-कभी चले जाते थे। मुझसे पूछते-आप जबलपुर क्यों जा रहे हैं? मैंने कहा हम कथा कहने, प्रवचन करने जा रहे हैं। तुम क्यों जा रहे हो? बोले-हमारा एक यार है। उससे मिलने जा रहे हैं। वे यार वही थे। शरीर पर जप का कितना प्रभाव पड़ता है? रग-रग में रोम-रोम में मन्त्र की ध्वनि व्याप्त हो जाती है। जप की एक बात आपको सुनाते हैं। आप समझो कि हमारे मन में या तन में परिवर्तन करना है तो कम्युनिस्टों का जो हँसिया, हथौड़ा है, उससे तो हमारे हृदय का या हमारे मन का परिवर्तन नहीं हो सकता। और न तो वहाँ डाक्टर का हाथ पहुँचकर आँपरेशन कर सकता है। आप लोगों ने सुना होगा-आजकल एक ध्वनि-चिकित्सा विज्ञान निकला है। हमारे घुटने में दर्द होता था तो हेमलता रतन सी भाई एक डॉक्टर ले आये थे। वह एक मशीन हमारे घुटने पर रखना था और वह कहता था, हमारा कान जितना सुन सकता है, उससे तीन लाख गुना ऊँची ध्वनि इस मशीन में-से निकलकर घुटने में प्रवेश कर रही है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रमांक | प्रवचन | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज