गीता दर्शन -अखण्डानन्द सरस्वती पृ. 1116

गीता दर्शन -स्वामी अखण्डानन्द सरस्वती महाराज

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भाग-9 : अध्याय 12
प्रवचन : 1

‘पश्य मे पार्थ रूपाणि’-जिसके द्वारा किसी का निरूपण होता हो, उसको रूप कहते हैं। ‘रूप्यते अनेन इति रूपम्’। जिसके द्वारा हम समझ सके, कि कोई कितना बड़े हैं, उनकी लम्बाई–चौड़ाई कितनी है; उसकी आयु कितनी लम्बी है, उसके अंग–प्रत्यंग कितने बड़े हैं–जिनके द्वारा हम किसी को समझ सकें उसका नाम है। रूप देखो, मेरे रूप सैकड़ों-हजारों देखो। जैसे जादूगर-बोलता है न! देख लो, देख लो!! वैसे बड़े मायावी-मायापति बोले-देख लो, देख लो-

पश्य मे पार्थ रूपाणि शतशोऽथ सहस्रथः।
नानाविधानि दिव्यानि नानावर्णाकृतीनि च।।

इनके प्रकार अनेक हैं-हैं एक चीज पर विधा अनेक है। विधा माने प्रकार। विशेष अवधान के लिए जो विशेष प्रकार होता है उसे ‘विधा’ बोलते हैं। धारणा-ठीक-ठीक अवधारणा हो जाय किसी वस्तु की , उसकी रीति का नाम ‘विधा’ होता है। इनकी रीति अलग-अलग है-एक आम का पेड़ है, एक बड़ का पेड़ है, एक अंगूर की लता है। एक धरती है पर ये सबके सब परमात्मा को दिखाने वाले दिव्य हैं-सब में दिव्यता भरी हुई है। ‘नाना-वर्णाकृतीनि च।’ इनके रंग रूप निराले हैं। वर्ण-माने रंग रूप और आकृति माने आकार। जैसे एक आदमी का रंग साँवला है या गोरा है या पीला है-वह तो है वर्ण। और आकृति है-वह आडी है कि टेढ़ी है कि लम्बी है। नाक नुकीली है कि चपटी यह आकृति है। नाना प्रकार के रंग देखो, नाना प्रकार की आकृतियाँ देखो। सबकी शक्ल-सूरत बिल्कुल अलग-अलग-सबका नाम, रूप अलग-अलग, सबका आकार-प्रकार अलग-अलग-नाम-रूप क्रियात्मक समग्र प्रपंच-यह देखो मेरा ऐश्वर्य रूप है।

बहु स्यां प्रजायेय।[1]

यह मैं सबके रूप में प्रकट हो रहा हूँ। केवल लौकिक ही नहीं-जो कुछ अलौकिक है सो भी देखो!

ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. छान्दोग्य. 6.2.3

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गीता दर्शन -स्वामी अखण्डानन्द सरस्वती महाराज
क्रमांक प्रवचन पृष्ठ संख्या
भाग-1 (अध्याय 1-4)
1. प्रवचन : 1 1
2. प्रवचन : 2 14
3. प्रवचन : 3 28
4. प्रवचन : 4 44
5. प्रवचन : 5 59
6. प्रवचन : 6 75
7. प्रवचन : 7 89
8. प्रवचन : 8 106
9. प्रवचन : 9 122
10. प्रवचन : 10 139
11. प्रवचन : 11 154
भाग-2 (अध्याय-5)
12. प्रवचन : 1 174
13. प्रवचन : 2 188
14. प्रवचन : 3 202
15. प्रवचन : 4 214
16. प्रवचन : 5 228
17. प्रवचन : 6 241
18. प्रवचन : 7 254
19. प्रवचन : 8 268
20. प्रवचन : 9 284
21. प्रवचन : 10 299
22. प्रवचन : 11 314
23. प्रवचन : 12 325
भाग-3 (अध्याय-6)
24. प्रवचन : 1 337
25. प्रवचन : 2 347
26. प्रवचन : 3 357
27. प्रवचन : 4 369
28. प्रवचन : 5 381
29. प्रवचन : 6 391
30. प्रवचन : 7 404
31. प्रवचन : 8 418
32. प्रवचन : 9 433
भाग-4 (अध्याय-7)
33. प्रवचन : 1 448
34. प्रवचन : 2 463
35. प्रवचन : 3 479
36. प्रवचन : 4 494
37. प्रवचन : 5 508
38. प्रवचन : 6 522
39. प्रवचन : 7 535
40. प्रवचन : 8 549
41. प्रवचन : 9 562
भाग-5 (अध्याय-8)
42. प्रवचन : 1 576
43. प्रवचन : 2 588
44. प्रवचन : 3 603
45. प्रवचन : 4 615
46. प्रवचन : 5 628
47. प्रवचन : 6 643
48. प्रवचन : 7 659
49. प्रवचन : 8 673
50. प्रवचन : 9 687
भाग-6 (अध्याय-9)
51. प्रवचन : 1 704
52. प्रवचन : 2 720
53. प्रवचन : 3 731
54. प्रवचन : 4 743
55. प्रवचन : 5 758
56. प्रवचन : 6 773
57. प्रवचन : 7 786
58. प्रवचन : 8 799
59. प्रवचन : 9 808
60. प्रवचन : 10 822
भाग-7 (अध्याय-10)
61. प्रवचन : 1 834
62. प्रवचन : 2 849
63. प्रवचन : 3 864
64. प्रवचन : 4 879
65. प्रवचन : 5 891
66. प्रवचन : 6 903
67. प्रवचन : 7 916
68. प्रवचन : 8 928
69. प्रवचन : 9 942
70. प्रवचन : 10 953
भाग-8 (अध्याय-11)
71. प्रवचन : 1 969
72. प्रवचन : 2 980
73. प्रवचन : 3 994
74. प्रवचन : 4 1008
75. प्रवचन : 5 1020
76. प्रवचन : 6 1034
77. प्रवचन : 7 1048
78. प्रवचन : 8 1063
79. प्रवचन : 9 877
80. प्रवचन : 10 1090
भाग-9 (अध्याय-12)
81. प्रवचन : 1 1104
82. प्रवचन : 2 1117
83. प्रवचन : 3 1131
84. प्रवचन : 4 1144
85. प्रवचन : 5 1160
86. प्रवचन : 6 1175
87. प्रवचन : 7 1189
88. प्रवचन : 8 1201
89. प्रवचन : 9 1214
90. प्रवचन : 10 1226
भाग-10 (अध्याय-13)
91. प्रवचन : 1 1234
92. प्रवचन : 2 1246
93. प्रवचन : 3 1261
94. प्रवचन : 4 1274
95. प्रवचन : 5 1285
96. प्रवचन : 6 1298
97. प्रवचन : 7 1312
98. प्रवचन : 8 1324
99. प्रवचन : 9 1337
100. प्रवचन : 10 1350
भाग-11 (अध्याय-14)
101. प्रवचन : 1 1370
102. प्रवचन : 2 1385
103. प्रवचन : 3 1400
104. प्रवचन : 4 1415
105. प्रवचन : 5 1428
106. प्रवचन : 6 1442
107. प्रवचन : 7 1460
108. प्रवचन : 8 1476
109. प्रवचन : 9 1492
भाग-12 (अध्याय-15)
110. प्रवचन : 1 1506
111. प्रवचन : 2 1518
112. प्रवचन : 3 1534
113. प्रवचन : 4 1551
114. प्रवचन : 5 1564
115. प्रवचन : 6 1579
110. प्रवचन : 7 1595
111. प्रवचन : 8 1611
112. प्रवचन : 9 1626
113. प्रवचन : 10 1642
भाग-13 (अध्याय-16)
114. प्रवचन : 1 1656
115. प्रवचन : 2 1669
116. प्रवचन : 3 1684
117. प्रवचन : 4 1700
118. प्रवचन : 5 1713
119. प्रवचन : 6 1728
120. प्रवचन : 7 1741
121. प्रवचन : 8 1757
122. प्रवचन : 9 1767
123. प्रवचन : 10 1782
124. अंतिम पृष्ठ 1797

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