गीता दर्शन -स्वामी अखण्डानन्द सरस्वती महाराज
भाग-8 : अध्याय 11
प्रवचन : 9
आपको एक हलकी-फुलकी बात सुना देते हैं। एक था गाँव का किसान। वह किसी महात्मा के सत्संग में कभी-कभी जाता। एक दिन उसने बाबा जी से पूछा कि बाबा जी, हमको कोई भगवान का नाम बता दो हम उसका जप करेंगे। बार-बार लेते रहेंगे। हल भी जोतना है-नाम भी लेना है। बाबाजी ने सोचा कि गाँव का गँवार क्या नाम लेगा? उसको बता दिया-‘अघमोचन’। अघमोचन, अघमोचन 2-4 बार बोल दिया। हमारे पास भी ऐसे लोग बहुत आते हैं, जिनको हम कोई मन्त्र बता दें-वर्ष-दो वर्ष बाद मिलते हैं तो कहते हैं तो कहते हैं-भूल गये महाराज-याद नहीं है क्योंकि जब करेगा नहीं तो भूल ही जायेगा। कैसे याद रहेगा? वह बिचारा अघमोचन-अघमोचन करता चला। रास्ते में भूल गया तो ‘घमोचन घमोचन’ बोलने लगा। ‘अ’ छूट गया-‘घमोचन घमोचन’ बोलने लगा और जाकर हल जोतने लगा। यह नाम जब भगवान ने वैकुण्ठ में सुना तो उनको हँसी आ गयी। हँसी आयी तो लक्ष्मी जी ने पूछा प्रभो, आप क्यों हँस रहे हैं? भगवान ने कहा ऐसे ही हँस रहे हैं। उसमें कोई बात नहीं है। अब वे तो जिद्द पर आ गयीं कि बताओ। मेरी कोई बात सोचकर हँसे होंगे। बताना पड़ेगा। आखिर लक्ष्मी-लक्ष्मी ही तो हैं। भगवान ने कहा कि आज हमारा एक नया नाम संसार में रखा गया है, वह सुनकर मैं हँस रहा हूँ। लक्ष्मी जी ने कहा क्या नाम है? बोलीं-बताने लायक नहीं है, बोले क्यों नहीं बताने लायक है? भगवान ने कहा कि अच्छा तुम जाकर सुन आओ। देखो नया है कि नहीं? लक्ष्मी ने कहा मैं अकेली नहीं जाऊँगी, तुम भी साथ चलो। अब दोनों हल जोतने वाले किसान के पास पहुँच गये। भगवान ने कहा कि तुम जाकर सुन आओ, मैं जरा आड़ में गढ्डे में छिप जाता हूँ। वे गयीं-जाकर पूँछने लगी-भगतजी-भगवान का क्या नाम ले रहे हो? अब वह तो बोले ही नहीं-‘घमोचन, घमोचन’। सुन तो लिया तुम ‘घमोचन-घमोचन’ कह रहे हो, लेकिन यह नाम किसका है? अब वह तो अपना ‘घमोचन’ करे कि उसे बात करे। जो जप करता है, उसको बात करना नहीं सुहाता है, वह नाराज हो गया। बोला-तेरे खसम का नाम ले रहा हूँ। अरे, लक्ष्मी जी ने कहा कि यह तो हमको पहचान गया तब पूछा, उन्होंने कि आखिर वह है कहाँ? तो बोला गढ्डे में। अब तो भगवान और लक्ष्मी दोनों आकर उसके सामने प्रकट हो गये। इसको बोलते हैं- विश्वास। उसका विश्वास था कि भगवान की ऐसी करुणा है कि वे अपने बल से अपना दर्शन देने आते हैं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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