महाभारत कथा -चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य
93.पांडवों का शर्मिन्दा होना
"यह न समझना कि मैं तुम्हारी चालों से अपरिचित हूँ जब हम दोनों लड़ रहे थे तो तुमने अर्जुन से बातें करने के बहाने भीम को मेरी जांघों पर गदा मारने का जो इशारा किया था, तुम समझते होगे कि मैं उसे समझा नहीं, पर तुम भूलते हो। इसी प्रकार पितामह भीष्म को तुम्हारी ही चाल ने परास्त किया था। शिखण्डी को उनके आगे खड़ा करके अर्जुन से उन पर बाण चलवाना तुम्हारा ही काम था। धर्मराज से झूठ बुलवाकर आचार्य द्रोण का तुम्हीं ने वध करवाया। युधिष्ठिर की झूठी बात को सच मानकर आचार्य ने धनुष डाल दिया और तभी पापी धृष्टद्युम्न ने ध्यान-मग्न बैठे आचार्य का सिर काट डाला। उसे ऐसा करने से रोकना तो दूर, तुम उल्टा उसके कार्य से खुश हुए। कर्ण ने अर्जुन का वध करने के लिये जिस शक्ति को सुरक्षित रक्खा था तुम्हारी ही प्रवंचना के कारण विवश होकर उसने उसका प्रयोग घटोत्कच पर कर दिया। अपना हाथ कट जाने पर बूढ़े भूरिश्रवा जब शरों की शैया पर बैठे प्रायोपवेशन कर रहे थे, उस समय सात्यकि ने तुम्हारी प्रेरणा ही से उसका वध किया था। कीच में फंसे रथ के पहिये को जब कर्ण उठा रहा था तब अर्जुन ने नीच आदमी की तरह ही तो उसका वध किया था। वह भी तुम्हारे ही आदेश से। अरे दुरात्मा, हम सबके नाश का कारण केवल तुम्हीं हो। तुम्हारी ही माया के कारण सिन्धुराज जयद्रथ सूर्यास्त हो गया, यह समझकर असावधान रहे और धोखे से मारे गये। धिक्कार है तुम्हें! तुम्हारी इस मक्कारी और धोखेबाजी के लिये सारा संसार तुम्हारी निंदा करेगा।" दुर्योधन इस प्रकार श्रीकृष्ण पर वाक्बाणों की बौछार करता-करता पीड़ा के मारे कराहता हुआ फिर से गिर पड़ा। वह बैठे न रह सका। श्रीकृष्ण उसकी इस अवस्था पर तरस खाते हुए बोले- "गांधारीपुत्र! क्रोध की आग से अपने प्राणों को क्यों व्यर्थ जला रहे हो? तुम अपने ही पापों के फलस्वरूप नाश को प्राप्त हुए हो। उसका दोष मुझे व्यर्थ ही दे रहे हो। यह तुम्हारी भूल है। तुम्हारे नाश का कारण मैं नहीं हूँ। तुम्हारे ही पापों के कारण भीष्म और द्रोण मारे गये। पाण्डु पुत्रों पर तुमने जो अत्याचार किये थे, उनका कोई और नतीजा निकलने वाला ही नहीं था। उन अत्याचारों की भला कोई सीमा थी? कुंती देवी समेत उन सबको जला डालने का तुमने जो कुचक्र रचा था, वह तुम्हें याद नहीं रहा? द्रौपदी का तुमने जो अपमान किया था, उसका तुम्हें पूरा बदला मिला क्या?" |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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