महाभारत कथा -चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य
10.भीम
पांचों पांडव तथा धृतराष्ट्र के सौ पुत्र, जो कौरव कहलाते थे, हस्तिनापुर में साथ-साथ रहने लगे। खेल-कूद, हंसी-मजाक सब में वे साथ ही रहते। शरीर-बल में पाण्डु का पुत्र भीम सबसे बढ़कर था। खेलों में वह दुर्योधन और उसके भाइयों को खूब तंग किया करता; खूब उनको मारता-पीटता और बाल पकड़कर खींचता। कभी आठ-दस बच्चों को लेकर पानी में डुबकी लगा देता और बड़ी देर तक उनको पानी के अंदर ही दबाये रखता; यहाँ तक कि बेचारों का दम घुटने लग जाता। कौरव कभी पेड़ पर चढ़कर फल खाते या खेलते होते तो भी उस पेड़ को जोर से लात मारकर हिला देता और वे बालक पेड़ से ऐसे गिर पड़ते जैसे पके हुए फल। भीम के ऐसे खेलों से बच्चे बहुत तंग आ जाते और उनका सारा शरीर छोटे-छोटे घावों से भर जाता। यद्यपि भीम मन में किसी से वैर नहीं रखता था और बचपन के जोश के कारण ही ऐसा करता था, फिर भी दुर्योधन तथा उसके भाइयों के मन में भीम के प्रति द्वेषभाव बढ़ने लगा। इधर सभी बालक उचित समय आने पर कृपाचार्य से अस्त्र-विद्या के साथ-साथ अन्य विद्याएं भी सीखने लगे। विद्या सीखने में भी पांडव कौरवों से आगे ही रहते। कौरव और खीझने लगे। दुर्योधन पांडवों को हर प्रकार नीचा दिखाने का प्रयत्न करता, भीम से तो उसकी जरा भी नहीं पटती थी। एक बार सब कौरवों ने आपस में सलाह करके यह निश्चय किया कि भीम को गंगा में डुबोकर मार डाला जाये और उसके मरने पर युधिष्ठिर-अर्जुन आदि को कैद करके बंदी बना लिया जाये। दुर्योधन ने सोचा कि ऐसा करने से सारे राज्य पर उनका अधिकार हो जायेगा। एक दिन दुर्योधन ने धूमधाम से जल-क्रीड़ा का प्रबन्ध किया और पांचों पांडवों को उसके लिए न्यौता दिया। बड़ी देर तक खेलने और तैरने के बाद सबने भोजन किया और अपने-अपने डेरों में जाकर सो रहे। दुर्योधन ने छल से भीम के भोजन में विष मिला दिया था। सब लोग खूब खेले-तैरे थे सो थक-थकाकर सो गये। भीम को विष के कारण गहरा नशा आया। वह डेरे पर भी न पहुँचने पाया और नशे में चूर होकर गंगा-किनारे रेती में ही गिर गया। उसी हालत में दुर्योधन ने उसके हाथ-पैर लताओं से बांधकर गंगा में बहा दिया। लताओं से जकड़ा हुआ भीम का शरीर गंगा की धारा में बहता हुआ दूर निकल गया। पानी में ही कुछ विषैले सांपों ने उसे काट लिया। सांपों के विष के प्रभाव से भीम के शरीर से भोजन के विष का प्रभाव दूर हो गया और वह जल्दी ही होश में आ गया। इस प्रकार विष का शमन हो जाने से भीम का शारीरिक बल और बढ़ गया। इधर दुर्योधन मन-ही-मन यह सोचकर खुश हो रहा था कि भीम का तो काम ही तमाम हो गया होगा। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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