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पंचम अध्याय
प्रश्न- अज्ञान द्वारा ज्ञान ढका हुआ है, उसी से सब जीव मोहित हो रहे हैं, इस कथन का क्या अभिप्राय है?
उत्तर- यहाँ यह शंका होती है कि यदि वास्तव में मनुष्यों का या परमेश्वर का कर्मों से और उनके फल से सम्बन्ध नहीं है तो फिर संसार में जो मनुष्य यह समझते हैं कि ‘अमुक कर्म मैंने किया है’, ‘यह मेरा कर्म है’, ‘मुझे इसका फल मिलेगा’, यह क्या बात है? इसी शंका का निराकरण करने के लिये कहते हैं कि अनादिसिद्ध अज्ञान द्वारा सब जीवों का यथार्थ ज्ञान ढका हुआ है। इसीलिये वे अपने और परमेश्वर के स्वरूप को तथा कर्म के तत्त्व को न जानने के कारण अपने में और ईश्वर में कर्ता; कर्म और कर्मफल के सम्बन्ध की कल्पना करके मोहित हो रहे हैं।
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