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42.यक्ष प्रश्न
उन्होंने बात मान ली और बोले- "आप प्रश्न कर सकते हैं।" यक्ष ने प्रश्न किया-
प्रश्न- "सूर्य किसकी प्रेरणा (आज्ञा) से प्रतिदिन उगता है?"
उत्तर- "ब्रह्म (परमात्मा) की।"
प्रश्न- "मनुष्य का कौन साथ देता है?"
उत्तर- "धैर्य ही मनुष्य का साथी होता है।"
प्रश्न- "कौन सा शास्त्र (विद्या) है, जिसका अध्ययन करके मनुष्य बुद्धिमान बनता है?"
उत्तर- "कोई भी शास्त्र नहीं। महान लोगों की संगति से ही मनुष्य बुद्धिमान बनता है।"
प्रश्न- "भूमि से भारी चीज क्या है?"
उत्तर- "सन्तान को कोख में धरने वाली माता भूमि से भी भारी होती है।"
प्रश्न- "आकाश से भी उंचा कौन है?"
उत्तर- "पिता।"
प्रश्न- "हवा से भी तेज चलनेवाला कौन है?"
उत्तर- "मन।"
प्रश्न- "विदेश जाने वाले का कौन साथी होता है? "
उत्तर- "विद्या।"
प्रश्न- "घर ही में रहने वाले का कौन साथी होता है? "
उत्तर- "पत्नी।"
प्रश्न- "मरणासन्न वृद्ध का मित्र कौन होता है?"
उत्तर- "दान, क्योंकि वही मृत्यु के बाद अकेले चलने वाले जीव के साथ-साथ चलता है।"
प्रश्न- "बरतनों में सबसे बड़ा कौन सा है?"
उत्तर- "भूमि ही सबसे बड़ा बरतन है जिसमें सब कुछ समा सकता है।"
प्रश्न- "सुख क्या है?"
उत्तर- "सुख वह चीज है जो शील और सच्चरित्रता पर स्थित है।"
प्रश्न- "किसके छूट जाने पर मनुष्य सर्वप्रिय बनता है?"
उत्तर- "अंहभाव से उत्पन्न गर्व के छूट जाने पर।"
प्रश्न- "किस चीज के खो जाने से दु:ख नहीं होता?"
उत्तर- "क्रोध के खो जाने से।"
प्रश्न- "किस चीज को गंवाकर मनुष्य धनी बनता है?"
उत्तर- "लालच को।"
प्रश्न- "युधिष्ठिर! निश्चित रुप से बताओ कि किसी का ब्राह्मण होना किस बात पर निर्भर करता है? उसके जन्म पर, विद्या पर या शील स्वभाव पर?"
उत्तर- "कुल या विद्या के कारण ब्राह्मणत्व प्राप्त नहीं हो पाता। ब्राह्मणत्व तो शील स्वभाव पर ही निर्भर होता है, जिसमें शील न हो वह ब्राह्मण ब्राह्मण नहीं हो सकता। जिसमें बुरे व्यसन हों, वह चाहे कितना ही पढ़ा लिखा क्यों न हो, ब्राह्मण नहीं कहला सकता। चारों वेदों को जान करके भी कोई चरित्र भ्रष्ट हो तो उसे नीचे ही समझना चाहिए।"
प्रश्न- "संसार में सबसे बड़े आश्चर्य की बात क्या है?"
उत्तर- "हर रोज आंखों के सामने कितने ही प्राणियों को मृत्यु के मुंह में जाते देखकर भी बचे हुए प्राणी जो यह चाहते हैं कि हम अमर रहें, यही महान आश्चर्य की बात है।"
इसी प्रकार यक्ष ने कई प्रश्न किये और युधिष्ठिर ने उन सबके ठीक ठीक उत्तर दिये। अन्त में यक्ष बोला- "राजन! मैं तुम्हारे मृत भाइयों में से एक को जिला सकता हूँ। तुम जिस किसी को भी जिलाना चाहो वह जीवित हो जायेगा। युधिष्ठर ने पल भर सोचा कि किसे जिलाऊं? और जरा देर रुककर बोले- "जिसका रंग सांवला, आंखें कमल सी, छाती विशाल और बाहें लम्बी-लम्बी हैं और जो तमाल के पेड़ सा गिरा पड़ा है। वह मेरा सबसे छोटा भाई नकुल जी उठे।"
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