श्रीमद्भगवद्गीता तत्त्वविवेचनी हिन्दी-टीका -जयदयाल गोयन्दका
एकादश अध्याय
लेलिह्यसे ग्रसमान: समन्ताल्लोकान्समग्रान्वदनैर्ज्वलद्भि: ।
उत्तर- भगवान् के महान उग्ररूप को देखकर यहाँ भयभीत अर्जुन उस अत्यन्त भयानक रूप का वर्णन करते हुए कह रहे हैं कि जिनसे अग्नि की भयानक लपटें निकल रही हैं, अपने उन विकराल मुखों से आप समस्त लोकों को निगल रहे हैं और इतने पर भी अतृप्तभाव से बार-बार अपनी जीभ लपलपा रहे हैं। तथा आपके अत्यन्त उग्र प्रकाश के भयानक तेज से सारा जगत् अत्यन्त सन्तप्त हो रहा है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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