श्रीमद्भगवद्गीता तत्त्वविवेचनी हिन्दी-टीका -जयदयाल गोयन्दका
द्वितीय अध्याय
सम्बन्ध- पहले अध्याय में गीतोक्त उपदेश की प्रस्तावना के रूप में दोनों सेनाओं के महारथियों और उनकी शंख ध्वनि का वर्णन करके अर्जुन का रथ दोनों सेनाओं के बीच में खड़ा करने की बात की गयी; उसके बाद दोनों सेनाओं में स्थित स्वजनसमुदाय को देखकर शोक और मोह के कारण युद्ध से अर्जुन के निवृत्त हो जाने की और शस्त्र-अस्त्रों को छोड़कर विषाद करते हुए बैठ जाने की बात कहकर उस अध्याय की समाप्ति की गयी। ऐसी स्थिति में भगवान् श्रीकृष्ण ने अर्जुन से क्या बात कही और किस प्रकार उसे युद्ध के लिये पुनः तैयार किया; यह सब बतलाने की आवश्यकता होने पर संजय अर्जुन की स्थिति का वर्णन करते हुए दूसरे अध्याय का आरम्भ करते हैं- |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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