श्री श्रीचैतन्य-चरितावली -प्रभुदत्त ब्रह्मचारी176. महाप्रभु के वृन्दावनस्थ छ: गोस्वामिगण
5– श्री रघुनाथ भट्ट हम पहले ही बता चुके हैं, तपन मिश्र जी के सुपुत्र श्री रघुनाथ भट्ट अपने माता-पिता के परलोकगमन के अनन्तर आठ महीने प्रभु के पादपद्मों में रहकर उन्हीं की आज्ञा से वृन्दावन जाकर रहने लगे थे। ये भागवत के बड़े भारी पण्डित थे, इनका स्वर बड़ा ही कोमल था। ये रूपगोस्वामी की सभा में श्रीमद्भागवत की कथा कहते थे। इनका जन्म-संवत अनुमान से 1425 बताया जाता है। ये कितने दिन तक अपने को कोकिल-कूजित कमनीय कण्ठ से श्रीमद्भागवत की कूक मचाकर वृन्दावन को बारहों महीने वसन्त बनाते रहे, इसका ठीक-ठीक वृत्तान्त नहीं मिलता। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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