दशम अध्याय
प्रश्न- इस सप्त महर्षि आदि के साथ ‘मद्भावाः’ विशेषण देने का क्या अभिप्राय है?
उत्तर- ये सभी भगवान् में श्रद्धा और प्रेम रखने वाले हैं, यही भाव दिखलाने के लिये इनके लिये ‘मद्भावाः’ यह विशेषण दिया गया है।
प्रश्न- सप्तर्षियों की और सनकादि की उत्पत्ति तो ब्रह्मा जी के मन से ही मानी गयी है। यहाँ भगवान् ने उनको अपने मन से उत्पन्न कैसे कहाँ।
उत्तर- इनकी जो ब्रह्मा जी से उत्पत्ति होती है, वह वस्तुतः भगवान् से ही होती है; क्योंकि स्वयं भगवान् ही जगत् की रचना के लिये ब्रह्म का रूप धारण करते हैं। अतएव ब्रह्म के मन से उत्पन्न होने वालों को भगवान् ‘अपने मन से उत्पन्न होने वाले’ कहें तो इसमें भी कोई विरोध की बात नहीं है।
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