अष्टम अध्याय
प्रश्न- ‘अनावृत्ति’ शब्द किसका वाचक है और उसके प्रयोग का यहाँ क्या अभिप्राय है?
उत्तर- जहाँ जाकर साधक वापस नहीं लौटता, जो भगवान् का परमधाम है, उसी का वाचक यहाँ ‘अनावृत्ति’ शब्द है। चौबीसवें श्लोक में शुक्लमार्ग से जाने वालों को ब्रह्म की प्राप्ति बतलायी गयी है। वहाँ जाने के बाद मनुष्य पुनर्जन्म को नहीं पाता, अतएव उसे अनावृत्ति भी कहते हैं- यही बात स्पष्ट करने के लिये यहाँ पुनः ‘अनावृत्ति’ शब्द का प्रयोग किया गया है।
प्रश्न- ‘पुनः आवर्तते’ का क्या भाव है?
उत्तर- इससे भगवान् ने कृष्णमार्ग के द्वारा प्राप्त होने वाले सभी लोकों को पुनरावृत्तिशील बतलाया है। भाव यह है कि कृष्णमार्ग से गया हुआ मनुष्य जिन-जिन लोकों को प्राप्त होता है, वे सब-के-सब लोक विनाशशील हैं। इसलिये इस मार्ग से गये हुए मनुष्य को लौटकर मृत्युलोक में वापस आना पड़ता है।
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