श्रीमद्भगवद्गीता तत्त्वविवेचनी हिन्दी-टीका -जयदयाल गोयन्दका
अष्टम अध्याय
उत्तर- मन के द्वारा दोनों काम एक साथ अवश्य ही हो सकते हैं। परमात्मा के नाम ‘ऊँ’ का मन से उच्चारण करते हुए, साथ-साथ ब्रह्म का चिन्तन करने में कोई आपत्ति नहीं आती। मन से नाम का उच्चारण तो नामी के चिन्तन में उलटा सहायक होता है। महर्षि पतंजलि जी ने भी कहा है ‘ध्यानकाल में सवितर्क समाधि तक शब्द, अर्थ और तद्विषयक ज्ञान का विकल्प मन में रहता है।’[1] अतः जिसका चिन्तन किया जाता है उसी के वाचक नाम का मन के संकल्प में रहना तो स्वाभाविक है और उन्होंने यह भी कहा है कि-
प्रश्न- यहाँ परमगति को प्राप्त होना क्या है? उत्तर- निर्गुण-निराकार ब्रह्म को अभेद-भाव से प्राप्त हो जाना, परम गति को प्राप्त होना है; इसी को सदा के लिये आवागमन से मुक्त होना, मुक्तिलाभ कर लेना, मोक्ष को प्राप्त होना अथवा ‘निर्वाण ब्रह्म’ को प्राप्त होना कहते हैं। प्रश्न- आठवें से दसवें श्लोक तक सगुण-निराकार ईश्वर की उपासना का प्रकरण है और ग्यारहवें से तेरहवें तक निर्गुण-निराकार ब्रह्म की उपासना का। इस प्रकार यहाँ भिन्न-भिन्न दो प्रकरण क्यों माने गये? यदि छहों श्लोकों का एक ही प्रकरण मान लिया जाय तो क्या हानि है? उत्तर- आठवें से दसवें श्लोक तक के वर्णन में उपास्य परम पुरुष को सर्वज्ञ, सबके नियन्ता सबके धारण-पोषण करने वाले और सूर्य के सदृश स्वयं प्रकाशरूप बतलाया है। ये सभी सर्वव्यापी भगवान् के दिव्य गुण हैं। परंतु ग्यारहवें से तेरहवें श्लोक तक एक भी ऐसा विशेषण नहीं दिया गया है जिससे यहाँ निर्गुण निराकार प्रसंग मानने में तनिक भी आपत्ति हो सकती हो। इसके अतिरिक्त, उस प्रकरण में उपासक को ‘भक्तियुक्त’ कहा गया है, जो भेदोपासना का द्योतक है तथा उसका फल दिव्य परमपुरुष (सगुण परमेश्वर) की प्राप्ति बतलाया गया है। यहाँ अभेदोपासना का वर्णन होने से उपासक के लिये कोई विशेषण नहीं दिया गया है और इसका फल भी परम गति (निर्गुण ब्रह्म) की प्राप्ति बतलाया है। इसके अतिरिक्त ग्यारहवें श्लोक में नये प्रकरण का आरम्भ करने की प्रतिज्ञा भी की गयी है। साथ ही दोनों प्रकरणों को एक मान लेने से योगविषयक वर्णन की पुनरुक्ति का भी दोष आता है। इन सब कारणों से यही प्रतीत होता है कि इन छहों श्लोकों में एक ही प्रकारण नहीं है। दो भिन्न-भिन्न प्रकरण हैं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रम संख्या | विषय | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज