श्रीमद्भगवद्गीता तत्त्वविवेचनी हिन्दी-टीका -जयदयाल गोयन्दका
प्रथम अध्याय
प्रश्न- हम लोग महान् पाप करने को तैयार हो गये हैं, इस वाक्य के साथ ‘अहो’ और ‘बत’ इन दोनों अव्यय-पदों का प्रयोग करने का क्या अभिप्राय है? उत्तर- ‘अहो’ अव्यय यहाँ आश्चर्य का द्योतक है और ‘बत’ पद महान् शोक का! इन दोनों का प्रयोग करके उपर्युक्त वाक्य के द्वारा अर्जुन यह भाव दिखलाते हैं कि हम लोग जो धर्मात्मा और बुद्धिमान् माने जाते हैं और जिनके लिये ऐसे पापकर्म में प्रवृत्त होना किसी प्रकार भी उचित नहीं हो सकता, वे भी ऐसे महान् पाप का निश्चय कर चुके हैं। यह अत्यन्त ही आश्चर्य और शोक की बात है। प्रश्न- जो राज्य और सुख के लोभ से स्वजनों को मारने के लिेय उद्यत हो गये हैं, इस कथन का क्या भाव है? उत्तर- इससे अर्जुन ने यह भाव दिखाया है कि हम लोगों का राज्य और सुख के लोभ से इस प्रकार तैयार हो जाना बड़ी भारी गलती है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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