श्री श्रीचैतन्य-चरितावली -प्रभुदत्त ब्रह्मचारी72. क़ाज़ी की शरणागति
काजी ने कुछ लजाते हुए कहा- ‘शायद इसीलिये कि मैंने तुम्हारे संकीर्तन का विरोध किया है।’ प्रभु ने कुछ मुसकराकर कहा- ‘इससे मैं क्यों क्रोध करने लगा? आप भी तो स्वतन्त्र नहीं है, आपको बादशाह की जैसी आज्ञा मिली होगी या आपके अधीनस्थ कर्मचारियों ने जैसा कहा होगा वैसा ही आपने किया होगा। यदि कीर्तन करने वालों को दण्ड ही देना आपने निश्चय किया हो, तो हम सभी उसी अपराध को कर रहे हैं, हमें भी खुशी से दण्ड दीजिये। हम इसीलिये तैयार होकर आये हैं।’ काजी ने कहा- ‘बादशाह की तो ऐसी आज्ञा नहीं थी, किंतु तुम्हारे बहुत-से पण्डितों ने ही आकर मुझसे शिकायत की थी कि यह अशास्त्रीय काम है। पहले ‘मंगलचण्डी’ के गीत गाये जाते थे। अब निमाई पण्डित भगवन्नाम के गोप्य मन्त्रों को खुल्लमखुल्ला गाता फिरता है और सभी वर्णों को उपदेश करता है। ऐसा करने से देश में दुर्भिक्ष पड़ेगा; इसीलिये मैंने संकीर्तन के विरोध में आज्ञा प्रकाशित की थी। कुछ मुल्ला और क़ाज़ी भी इसे बुरा समझते थे।’ प्रभु ने यह सुनकर पूछा- ‘अच्छा, तो आप सब लोगों को संकीर्तन से क्यों नहीं रोकते!’ काजी इस प्रश्न को सुनकर चुप हो गया। थोड़ी देर सोचते रहने के बाद बोला- ‘यह बड़ी गुप्त बात है, तुम एकान्त में चलो तो कहूँ।’ प्रभु ने कहा- ‘यहाँ सब अपने ही आदमी हैं। इन्हें आप मेरा अन्तरंग ही समझिये। इनके सामने आप संकोच न करें। कहिये, क्या बात है?’ प्रभु के ऐसा कहने पर क़ाज़ी ने कहा- ‘गौरहरि! मुझे तुम्हें गौरहरि कहने में अब संकोच नहीं होता। भक्त तुम्हें गौरहरि कहते हैं, इसलिये तुम सचमुच में हरि हो। तुम जब कृष्ण-कीर्तन करते थे, तब कुछ मुल्लाओं ने मुझसे शिकायत की थी कि यह निमाई ‘कृष्ण-कृष्ण’ कहकर सभी को बरबाद करता है। इसका कोई उपाय कीजिये। तब मैंने विवश होकर उस दिन एक भक्त के घर में जाकर ढोल फोड़ा था और संकीर्तन के विरुद्ध लोगों को नियुक्त किया था, उसी दिन रात को मैंने एक बड़ा भंयकर स्वप्न देखा। मानो एक बड़ा भारी सिंह मेरे समीप आकर कह रहा है कि ‘यदि आज से तुमने संकीर्तन का विरोध किया तो उस ढोल की तरह ही मैं तुम्हारा पेट फोड़ दूंगा।’ यह कहकर वह अपने तीक्ष्ण पंजों से मेरे पेट को विदारण करने लगा। इतने में ही मेरी आँखे खुल गयीं! मेरी देह पर उन नखों के चिह्न अभी तक प्रत्यक्ष बने हुए हैं।’ यह कहकर क़ाज़ी ने अपने शरीर का वस्त्र उठाकर सभी भक्तों के सामने वे चिह्न दिखा दिये। |