विषय सूची
भारत सावित्री -वासुदेवशरण अग्रवाल
12. शान्ति पर्व
अध्याय : 168-353
अध्याय 336 में विष्णु के धर्मावतारों का वर्णन करते हुए एकान्तिक भावों का विवेचन किया गया है। हरि अर्थात अहुरमज्द उन सबको प्रसन्न करते हैं जिनके हृदय में उनके प्रति एकान्तिक भाव है। जो पाप-पुण्य से रहित हैं, वे चतुर्थ गति में पुरुषोत्तम को प्राप्त करते हैं। यह एकान्तधर्म नारायण को प्रिय है। एकान्तिन पुरुषों की विशेष गति मैं जानता हूँ। एकान्तिनों की चर्चा क्या है? इसका वर्णन नारद ने अर्जुन से किया था। नारायण के मुख से इसका मानस जन्म हुआ। ब्रह्मा ने एकान्त धर्म को दैव और पित्र्य दो भागों में बांटा। यहाँ ईरानी धर्म के 21 यजत और प्रवष या पितरों से तात्पर्य है। उसे फेनप या फेन का पान करने वाले आचार्यों ने प्राप्त किया। फेनपों से उसकी परम्परा वैखानसों में आई। वैखानसों से सोम ने प्राप्त किया। सोम से पितामह ने इस धर्म को जाना। उसने रुद्र को दिया। रुद्र ने योगस्थित होकर उसे वालखिल्यों को दिया। उनमें सुपर्ण नाम के ऋषि ने प्राप्त किया। यही त्रिसौपर्ण व्रत कहलाता है। ऋग्वेद में भी इस सौपर्ण व्रत का उल्लेख है। यहाँ ईरानी धर्म के त्रिसौपर्ण और वैदिक धर्म के त्रिसौपर्ण का मेल बैठाया गया है। इसके बाद नारायण ने श्रवण से उत्पन्न सृष्टि को प्रकट किया। वही सात्वत धर्म है। ये संकेत सासानी धर्म में बद्ध हुए होने से स्पष्ट नहीं है। सृष्टि बन जाने पर ब्रह्मा ने देव हरिमेधस् को प्रणाम किया और उनसे इस प्रमुख धर्म को रहस्य, संग्रह और आरण्यक के साथ ग्रहीत किया। और भी कितने ही नामों का उल्लेख करते हुए उस अग्रणी सात्वत धर्म की परम्परा का अवतरण कहा गया है। किन्तु हमने जिस पद्धति का संकेत किया है, उसके बहुत दूर तक अनुसरण की आवश्यकता है। यह दोनों धर्मों के तुलनात्मक अध्ययन पर निर्भर है। ऐसा करने पर ही महाभारत का यह पूरा प्रकरण समझा जायगा। जो अपने को सात्वत कहते हैं, वे इस सनातन और दुर्विज्ञेय धर्म को जानते हैं। कोई इसे द्विव्यूह, कोई त्रिव्यूह, कोई चर्तुव्यूह कहते हैं। यह एकान्तिक धर्म है। एकान्तिव्रत को जानने वाले पुरुषों की संख्या बहुत नहीं है। अहिंसक, आत्मवित और सर्वभूतहित में लगे हुए एकान्तिक पुरुषों की संख्या यहाँ बहुत हो, ऐसी हमारी कामना है। यहाँ यह कहा जा सकता है कि परमदेव ब्रह्म अहुरमज्द, नारद श्रवोष और व्यास जरथ्रुष्ट के समतुल्य हैं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्र.स. | विषय | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज