विषय सूची
भारत सावित्री -वासुदेवशरण अग्रवाल
1. आदि पर्व
अध्याय : 1
2. कथा-सार तथा पर्व-सूची
महाभारत नाम की व्युत्पत्ति इस प्रकार हैः कौरव और पाण्डव दोनों भरतवंशी थे, अतएव वे ‘भारत’ कहे गए। भरतवंशियों के संग्राम या युद्ध की संज्ञा भी ‘भारत’ हुई। पाणिनीय सूत्र[1] (संग्रामे प्रयोजनयोद्धृभ्यः) के अनुसार योद्धाओं के नाम से युद्ध का नाम रखा जाता था। अतः स्वाभाविक रीति से भरतों का संग्राम ‘भारत’ कहलाया। महाभारत में एक स्थान पर ‘महाभारत युद्ध’[2] इस शब्द का प्रयोग हुआ है, जिसका अर्थ है ‘बड़ा भारत युद्ध’, अर्थात भरतों के बीच में जो बड़ा संग्राम हुआ वह ‘महाभारत युद्ध’ कहलाया। अन्यत्र आदि पर्व में ‘महाभारताख्यानम’[3] शब्द प्रयुक्त हुआ है, जिसका तात्पर्य है ‘भरतों के महान संग्राम की कहानी’। महाभारताख्यान का ही संक्षिप्त रूप महाभारत है। महाभारत के वर्तमान रूप में 18 पर्व हैं। सब पर्वों में मिलाकर 1,948 अध्याय और 82,146 श्लोक होते हैं। यह संख्या पूना से सम्पादित-संशोधित संस्करण के अनुसार है। दक्षिण भारत से प्रकाशित विस्तृत पाठ में जिसे ‘महल्लक पाठ’ भी कह सकते हैं, अध्यायों की संख्या 1,959 और श्लोकों की संख्या 95,586 है। इस प्रकार की गणना ‘पर्व संग्रह’ नामक पर्व में भी पाई जाती है। ये पर्व 1,000 ईसवी से पूर्व अवश्य ही महाभारत के अंग थे, क्योंकि जावा द्वीप से प्राप्त भारत में, जो लगभग 8वीं-9वीं शती के लगभग वहाँ गया होगा, इस प्रकार की पर्व-गणनात्मक संख्याएं पाई जाती हैं, और ‘आंध्रभारतम्’ नामक तेलुगु भाषा के अनुवाद में भी, जो विक्रम की 10वीं शताब्दी में बना, ये संख्याएं उपलब्ध हैं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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