विषय सूची
भारत सावित्री -वासुदेवशरण अग्रवाल
6. भीष्म पर्व
अध्याय : 10
पठानकोट-जालन्धर से लेकर यमुना तक का जो प्रदेश है, इसमें भी कई प्राचीन जनपद थे। कुरुक्षेत्र (थानेश्वर) और उससे मिला हुआ दक्षिण-पश्चिम की ओर का जंगल, जिसे कुरुजांगल कहते थे, प्रसिद्ध नाम है। किन्तु उसी प्रदेश में साल्व जनपद के कई छोटे-मोटे टुकड़े फैले हुए थे, जिन्हें पाणिनि ने ‘साल्वावयव’ कहा है। उन्हीं में इस सूची के बोध और पुलिंद (पाठान्तर भूलिंग) जनपद थे। सुकुट्ट का स्थान अनिश्चित है। सम्भव है, यह सुकेत (एक रियासत) हो। सैरन्ध्र भी सम्भवतः सरहिन्द का ही नाम था। यमुना पार करते ही मध्यप्रदेश में प्रवेश करते हैं, जहाँ इन्द्रप्रस्थ से हस्तिनापुर तक फैला हुआ यमुना-गंगा के बीच का पूरा भू भाग कुरु जनपद कहलाता था (वर्तमान दिल्ली-मेरठ)। कुरु जनपद के दक्षिण में पांचाल (फर्रुखाबाद-कन्नौज-बरेली) का बड़ा जनपद था और पश्चिम में यमुना के किनारे शूरसेन (मथुरा) जनपद था, जिसे अब ब्रजमंडल कहते हैं। मध्यप्रदेश के बीच में कोशल और काशी के दो विस्तृत जनपद थे। सरयू कोशल की मुख्य नदी है। काशी गंगा और गोमती के बीच का प्रदेश था। इसी का पश्चिमी भाग अपरकाशि कहलाता था, जिसे अब कसवार कहते हैं। कसिया-गोरखपुर का प्रदेश मल्ल जनपद था। 3. मध्यप्रदेश के जनपद
मध्यप्रदेश के जनपद राप्ती नदी के उस पार प्राच्य भारत शुरू हो जाता है। यहाँ कई जनपद स्पष्ट पहचाने जाते हैं। गंगा के उत्तर का विस्तृत भू भाग विदेह (वर्तमान मिथिला) कहलाता था और गंगा के दक्षिण का प्रदेश मगध। इन्हीं दोनों के बीच में किन्तु पूर्व की ओर अंग (भागलपुर) जनपद था, जिसकी प्राचीन राजधानी चम्पा (भागलपुर) थी। जहाँ गंगा दक्षिण की ओर मुड़ी है, उसके पूर्व और पश्चिम एवं उत्तर और दक्षिण के जनपदों के नाम इस सूची में आये हैं। उत्तरी बंगाल में पुण्ड्र (बोगरा-रंगपुर-राजशाही) दक्षिण में सुह्मीत्तर या सुह्म (ताम्रलिप्ति का इलाका, मेदिनीपुर) पूरब में बंग (ढाका-मैमनसिंह) और पश्चिम में मानवर्जक (पाठान्तर मानवर्तिक, बर्दवान-बीरभूम-मानभूम) नाम से प्रसिद्ध जनपद थे। गंगा के ठीक पूरब में मालदह जिला है, जो सम्भवतः प्राचीन मलद था और इस सूची में आया है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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