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भारत सावित्री -वासुदेवशरण अग्रवाल
7. द्रोण पर्व
अध्याय : 122-154
अकेले अर्जुन ने कौरव सेना के नव महारथियों को परास्त किया। इसी बीच युधिष्ठिर की भी द्रोणाचार्य से टक्कर हुई, जिसमें युधिष्ठिर के पैर उखड़ गये। युधिष्ठिर ने सात्यकि को अर्जुन की सहायता के लिए भेजा। सात्यकि ने बहुत पराक्रम दिखलाया। उसने त्रिगर्तों के साथ, काम्बोजों के साथ और पाषाणयोधी म्लेच्छों के साथ युद्ध किया। जब अर्जुन को गये बहुत देर हो गई, तो युधिष्ठिर ने चिन्तित होकर भीम को उनकी सहायता के लिए भेजा। भीमसेन कौरव सेना को चीरते हुए अर्जुन के पास जा पहुँचे। भीमसेन और कर्ण का घोर युद्ध हुआ, जिसमें कर्ण की पराजय हुई, पर पीछे कर्ण फिर तगड़े पड़े तो अर्जुन ने बीच में पड़कर अपने बाणों से कर्ण को पीछे हटाया। इस समय अर्जुन ने डटकर जयद्रथ पर आक्रमण किया और घोर युद्ध के अनन्तर अद्भुत पराक्रम करते हुए आखिर से सिन्धुराज जयद्रथ का वध कर डाला। तब श्रीकृष्ण अर्जुन की प्रशंसा करते हुए उन्हें युधिष्ठिर के पास वापस लाये। इस पर दुर्योधन खेद करता हुआ द्रोणाचार्य को उपालम्भ देने लगा। 61. घटोत्कच पर्वअगले दिन के युद्ध में घटोत्कच का वध मुख्य घटना है। उस दिन सांय काल को भी युद्ध बंद नहीं हुआ और पाण्डवों के सैनिकों ने रात्रि-युद्ध में द्रोणाचार्य पर आक्रमण किया। द्रोण ने शिबी का और भीम ने कलिंग के राजकुमार ध्रुव का वध किया। तब घटोत्कच और अश्वत्थामा का युद्ध हुआ। इधर युधिष्ठिर ने भी द्रोण पर आक्रमण किया और पहले तो युद्ध में युधिष्ठिर विजयी रहे, पर पीछे द्रोण के सामने युधिष्ठिर के पैर उखड़ गये। अश्वत्थामा का पांचाल के राजकुमार धृष्टद्युम्न से पुराना वैर था, जिसके कारण दोनों में घमासान युद्ध हुआ और धृष्टद्युम्न को भागना पड़ा। नकुल और शकुनि, शिखण्डी और कृपाचार्य, सात्यकि और दुर्योधन, अर्जुन और शकुनि इन विपक्षी वीरों का परस्पर घोर युद्ध होता रहा। दुर्योधन के उपालम्भ देने से द्रोण और कर्ण ने पराक्रम की पराकाष्ठा कर दी, जिससे धृष्टद्युम्न और पांचालों के पांव उखड़ गये। इससे युधिष्ठिर घबड़ा उठे। तब कृष्ण और अर्जुन ने घटोत्कच को कर्ण के साथ युद्ध करने के लिए भेजा। घटोत्कच ने अत्यन्त घोर युद्ध किया और अन्त में विवश होकर कर्ण को इन्द्र की दी हुई अमोघ शक्ति घटोत्कच पर छोड़नी पड़ी, जिससे उसका वध हो गया। इससे पाण्डव-पक्ष में शोक छा गया, पर कृष्ण प्रसन्न हुए, क्योंकि उन्हें आशंका थी कि किसी दिन कर्ण द्वारा उस शक्ति का अर्जुन के विरुद्ध प्रयोग हो सकता था। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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