भारत सावित्री -वासुदेवशरण अग्रवाल पृ. 199

भारत सावित्री -वासुदेवशरण अग्रवाल
3. आरण्यक पर्व

अध्याय : 34

23. अर्जुन की शस्त्रास्त्र-प्राप्ति
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द्यूत-सभा में युधिष्ठिर ने जिस प्रकार मूढ़ बनकर विपत्ति को न्योता दिया, उससे शेष चारों भाइयों और द्रौपदी को क्षोभ होना स्वाभाविक था। द्रौपदी ने उस समय असाधारण धैर्य दिखलाया। उसको युधिष्ठिर की दुर्बुद्धि और दुर्योधन की कुटिलता का सबसे अधिक मूल्य चुकाना पड़ा था। उसके जीवन की सारी आस्था हिल गई। वह इस विषय में स्तम्भित हो गई कि पुरुष-समाज सदाचार-सम्बन्धी मर्यादाओं के विषय में कहाँ तक पतन की ओर जा सकता है।

सम्भव है, यदि कृष्ण के धर्म-परायण व्यक्तित्व पर उसके मन में उस समय आस्था न रह गई होती तो उसके अपने व्यक्तित्व का सूत्र छिन्न-भिन्न हेाकर टूट गया होता। उसकी व्यथा, आक्रोश, करुणा और रोष का सचमुच पारावार नहीं था। उसके मन के अगाध शोक को प्रकट होने के लिए अवसर चाहिए था। वनवास के इस आरम्भिक काल में जब उसे अवसर मिला, तब उसके दुःख का बांध टूटकर बह निकला। किन्तु फिर भी ऐसा लगता है कि द्रौपदी के मन की सारी पीड़ा को शब्दों में व्यक्त करने की शक्ति ग्रन्थकार के पास न थी।

द्रौपदी के अनकहे दुःख में और भी अगाध व्यथा भरी रह जाती है। द्रौपदी ने युधिष्ठिर से जो कहा, उसे भीमसेन ने भी सुना। भीमसेन की प्रकृति दूसरे प्रकार की थी। भरी सभा में ही वह युधिष्ठिर की भुजाओं को आग से जला देने की बात कह चुका था। तब अर्जुन ने किसी प्रकार उसे शान्त किया था। द्रौपदी के कथन ने उसकी उस प्रसुप्त क्रोधाग्नि को फिर भड़का दिया। वह क्रोध से फुफकारता हुआ युधिष्ठिर से बोलाः

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

भारत सावित्री -वासुदेवशरण अग्रवाल
क्र.स. विषय पृष्ठ संख्या
खण्ड : 1
भूमिका 1
1. शतसाहस्त्री संहिता 7
1.आदि पर्व
2. कथा-सार तथा पर्व-सूची 20
3. जनमेजय का नाग-यज्ञ 33
4. शकुन्तलोपाख्यान 43
5. राजा ययाति का उपाख्यान 54
6. पौरव-राज-वंशावली 67
7. भीष्म का उदात्त चरित 72
8. कौरव-पाण्डवों का बाल्यकाल 84
9. द्रौपदी-स्वयंवर 98
10. सुभद्रा-परिणय 106
2.सभा पर्व
11. देवर्षि नारद का उपदेश 114
12. युधिष्ठिर की सभा 125
13. जरासन्ध-वध 129
14. दिग्विजय 136
15. युधिष्ठिर का राजसूय यज्ञ 146
16. दुर्योधन का सन्ताप 152
17. शकुनि का कपट-द्यूत 158
18. द्रौपदी-चीरहरण 165
3. आरण्यक पर्व
19. विदुर पर धृतराष्ट्र का कोप 176
20. मैत्रेय ऋषि का शाप 180
21 श्रीकृष्ण का आश्वासन 187
22. धर्म और कर्म की गहन गति 192
23. अर्जुन की शस्त्रास्त्र-प्राप्ति 199
24. नलोपाख्यान 207
25. तीर्थ-यात्रा-1 218
26. तीर्थ-यात्रा-2 223
27. कुरुक्षेत्र का प्रदेश 232
28. अष्टावक्र की कथा 237
29. यवक्रीत की कथा 241
30. हिमालय के पुण्य प्रदेश में 242
31. आजगर पर्व 250
32. मार्कण्डेय-समास्या 257
33. प्रत्यक्ष धर्म की उदात्त कथाएँ 262
34. द्रौपदी-सत्यभामा-संवाद 271
35. दुर्योधन की घोष-यात्रा 273
36. द्रौपदी-हरण 278
37. रामोपाख्यान 282
38. सावित्री-उपाख्यान 289
39. कुण्डलाहरण 296
40. यक्ष-युधिष्ठिर-प्रश्नोत्तरी 299
4.विराट पर्व
41. पाण्डवों का अज्ञातवास 307
42. गोग्रहण 316
खण्ड : 2
भूमिका 326
5. उद्योग पर्व
43. सैन्योद्योग 336
44. संजययान 351
45. प्रजागर पर्व 355
46. ऋषि सनत्सुजात का उपदेश 374
47. यानसन्धि पर्व 218
48. भगवद्यान पर्व 389
49. धृतराष्ट्र की सभा में कृष्ण 396
50. सैन्य पर्व 405
51. अम्बोपाख्यान 405
52. मातलीय उपाख्यान और गालव-चरित 409
6. भीष्म पर्व
53. भुवनकोश पर्व 414
54. श्रीमद्भगवद्गीता पर्व 428
55. भीष्म-युद्ध-वर्णन 507
7. द्रोण पर्व
56. द्रोण पर्व 510
57. संशप्तकवध पर्व 511
58. अभिमन्युवध पर्व 514
59. प्रतिज्ञा पर्व 515
60. जयद्रथवध पर्व 518
61. घटोत्कच पर्व 518
62. द्रोणवध पर्व 519
63. नारायणास्त्रमोक्ष पर्व 519
8. कर्ण पर्व
64. कर्णयुद्ध-वर्णन 522
9. शल्य पर्व
65. शल्य-युद्ध वर्णन 532
10. सौप्तिक पर्व
66. अश्वत्थामा की शिरोवेदना 536
11. स्त्री पर्व
67. गान्धारी का विलाप 537
खण्ड : 3
भूमिका 538
12. शान्ति पर्व
68. कर्णाभिज्ञान 541
69. युधिष्ठिर निर्वेद 543
70. युधिष्ठिर का भीष्म के पास जाना 562
71. भीष्म स्तवराज 562
72. राजधर्म का सार 566
73. वर्णों और आश्रमों के धर्म 575
74. दस्यु जातियों का आर्य संस्कृति में परिवर्तन 581
75. राजा की उत्पत्ति 583
76. राजा का देवत्व विचार 584
77. बह्म-क्षत्र का सम्मिलित आदर्श 588
78. राजधर्म और अप्रमाद 592
79. विजिगीषु राजा का व्यवहार 594
80. गणों का वृत्त 598
81. राजभृत्यों के गुण-दोष 602
82. आपद्धर्म 610
83. शत्रु में अविश्वास का दृष्टान्त 619
84. प्रज्ञादर्शन में गुणों की मान्यता और दोष 626
85. मोक्षधर्म पर्व 633
86. अवान्तर दृष्टियां 640
87. सृष्टि और प्रलय 641
88. ध्यान योग 646
89. जपयोग 646
90. स्वभाववाद और अध्यात्मवाद का समन्वय 647
91. तुलाधार-जाजलि संवाद 653
92. गो-कापिलेय संवाद 654
93. क्षर और अक्षर महिमा 659
94. नारायणी पर्व 665
13. अनुशासन पर्व
95. अनुशासन पर्व 673
96. व्रतोपवास 674
97. तीर्थ 481
98. विष्णु-महिमा और शिव-महिमा 675
99. विष्णु और शिव सहस्त्रनाम 677
14. आश्वमेधिक पर्व
100. आश्वमेधिक पर्व 678
15. आश्रमवासिक पर्व
101 आश्रमवासिक पर्व 681
16. मौसल पर्व
102. मौसल पर्व 682
17. महाप्रस्थानिक पर्व
103. महाप्रस्थानिक पर्व 683
104. स्वर्गारोहण पर्व 683
परिशिष्ट
महर्षि व्यास 685
व्यास का मानवीय दृष्टिकोण 698
महापुरुष श्रीकृष्ण 701
महाभारत में साहित्यिक शैलियां 705

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