चैतन्य चरितावली क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या 1. मंगलाचरण 12 2. इष्ट-प्रार्थना 13 3. गुरू-वन्दना 15 4. भक्त-वन्दना 17 5. व्यासोपदेश 21 6. चैतन्य-कालीन भारत 26 7. चैतन्य-कालीन बंगाल 30 8. वंश-परिचय 36 9. प्रादुर्भाव 38 10. निमाई 42 11. प्रेम-प्रवाह 46 12. अलौकिक बालक 50 13. बाल्य-भाव 53 14. बाल-लीला 56 15. चांचल्य 60 16. अद्वैताचार्य और उनकी पाठशाला 67 17. विश्वरूप का वैराग्य 72 18. विश्वरूप का गृह-त्याग 77 19. निमाई का अध्ययन के लिये आग्रह 82 20. व्रतबन्ध 87 21. पिता का परलोकगमन 90 22. विद्याव्यासंगी निमाई 92 23. विवाह 99 24. चंचल पण्डित 103 25. नवद्वीप में ईश्वरपुरी 107 26. पूर्व बंगाल की यात्रा 111 27. पत्नी-वियोग और प्रत्यागमन 117 28. नवद्वीप में दिग्विजयी पण्डित 120 29. दिग्विजयी का पराभव 123 30. दिग्विजयी का वैराग्य 131 31. सर्वप्रिय निमाई 137 32. श्रीविष्णुप्रिया-परिणय 142 33. प्रकृति-परिवर्तन 148 34. भक्तिस्त्रोत उमड़ने से पहले 153 35. श्रीगयाधाम की यात्रा 157 36. प्रेम-स्त्रोत उमड़ पड़ा 163 37. नदिया में प्रत्यागमन 167 38. वही प्रेमोन्माद 172 39. सर्वप्रथम संकीर्तन और अध्यापकी का अन्त 178 40. कृपा की प्रथम किरण 184 41. भक्त-भाव 189 42. अद्वैताचार्य और उनका सन्देह 194 43. श्रीवास के घर संकीर्तनारम्भ 198 44. धीर-भाव 205 45. श्रीनृसिंहावेश 210 46. श्रीवाराहावेश 213 47. निमाई के भाई निताई 216 48. स्नेहाकर्षण 222 49. व्यासपूजा 228 50. अद्वैताचार्य के ऊपर कृपा 234 51. अद्वैताचार्य को श्यामसुन्दररूप के दर्शन 239 52. प्रच्छन्न भक्त पुण्डरीक विद्यानिधि 246 53. निमाई और निताई की प्रेम-लीला 252 54. द्विविध-भाव 256 55. भक्त हरिदास 259 56. हरिदास की नाम-निष्ठा 263 57. हरिदासजी द्वारा नाम-माहात्म्य 270 58. सप्तप्रहरिया भाव 276 59. भक्तों को भगवान के दर्शन 282 60. भगवद्भाव की समाप्ति 288 61. प्रेमोन्मत्त अवधूत का पादोदकपान 292 62. घर-घर में हरिनाम का प्रचार 296 63. जगाई-मधाई की क्रूरता नित्यानन्द की उनके उद्धार निमित्त प्रार्थना 301 64. जगाई-मधाई का उद्धार 308 65. जगाई और मधाई की प्रपन्नता 316 66. जगाई-मधाई का पश्चात्ताप 321 67. सज्जन-भाव 325 68. श्रीकृष्ण–लीलाभिनय 329 69. भक्तों के साथ प्रेम-रसास्वादन 339 70. भगवत-भजन में बाधक भाव 348 71. नदिया में प्रेम-प्रवाह और काजी का अत्याचार 355 72. काजी की शरणागति 360 73. भक्तों की लीलाएँ 372 74. नवानुराग और गोपी-भाव 381 75. संन्यास से पूर्व 386 76. भक्तवृन्द और गौरहरि 392 77. शचीमाता और गौरहरि 398 78. विष्णुप्रिया और गौरहरि 402 79. परम सहृदय निमाई की निर्दयता 406 80. हाहाकार 412 81. गौरहरि का संन्यास के लिये आग्रह 414 82. संन्यास-दीक्षा 420 83. श्रीकृष्ण-चैतन्य 429 84. राढ़-देश में उन्मत्त-भ्रमण 433 85. शान्तिपुर में अद्वैताचार्य के घर 439 86. माताको संन्यासी पुत्र के दर्शन 447 87. शचीमाता का संन्यासी पुत्र के प्रति मातृ-स्नेह 453 88. पुरी-गमन के पूर्व 456 89. पुरी के पथ में 460 90. महाप्रभु का प्रेमोन्माद और नित्यानन्दजी द्वारा दण्ड–भंग 466 91. श्रीगोपीनाथ क्षीरचोर 473 92. श्रीसाक्षिगोपाल 482 89. पुरी 456 93. श्रीभुवनेश्वर महादेव 490 94. श्रीजगन्नाथ जी के दर्शन से मूर्छा 496 95. आचार्य वासुदेव सार्वभौम 500 96. सार्वभौम और गोपीनाथाचार्य 505 97. सार्वभौम भक्त बन गये 510 98. सार्वभौम का भगवत-प्रसाद में विश्वास 516 99. सार्वभौम का भक्तिभाव 519 100. दक्षिण यात्रा का विचार 523 101. दक्षिण यात्रा के प्रस्थान 528 102. वासुदेव कुष्ठीका उद्धार 532 103. राजा रामानन्द राय 538 104. राय रामानन्द द्वारा साध्य तत्व प्रकाश 542 105. राय रामानन्द से साधन-सम्बन्धी प्रश्न 549 106. दक्षिण के तीर्थों का भ्रमण 554 107. धनी तीर्थराम को प्रेम और वेश्याओं का उद्धार 557 108. दक्षिण के तीर्थों का भ्रमण (2) 561 109. दक्षिण के शेष तीर्थों में भ्रमण 564 110. नौरो जी डाकू का उद्धार 569 111. नीलाचल में प्रभु का प्रत्यागमन 572 112. रेम रस लोलुप भ्रमर भक्तों का आगमन 574 113. महाराज प्रतापरुद्र को प्रभु दर्शन के लिये आतुरता 584 114. गौर भक्तों का पुरी में अपूर्व सम्मिलन 588 115. भक्तों के साथ महाप्रभु की भेंट 592 116. राजपुत्र को प्रेम दान 596 117. गुण्टिचा (उद्यान मन्दिर) मार्जन 600 118. श्री जगन्नाथ जी की रथ यात्रा 605 119. महाराज प्रतापरुद्र को प्रेमदान 614 120. पुरी में भक्तों के साथ आनन्द विहार 617 121. भक्तों की विदाई 621 122. सार्वभौमके घर भिक्षा और अमोघ-उद्धार 625 123. नित्यानन्द जी का गोड़-देश में भगवन्नाम-वितरण 628 124. नित्यानन्द जी का गृहस्थाश्रम में प्रवेश 631 125. प्रकाशानन्द जी के साथ पत्र-व्यवहार 635 126. पुरी में गौड़ीय भक्तों का पुनरागमन 641 127. प्रभु के वृन्दावन जाने से भक्तों को विरह 644 128. जननी के दर्शन 648 129. विष्णुप्रिया जी को संन्यासी स्वामी के दर्शन 653 130. वृन्दावन के पथ में 658 131. श्री रूप और सनातन 662 132. रघुनाथदास जी को प्रभु के दर्शन 666 133. पुरी में प्रत्यागमन और वृन्दावन की पुनः यात्रा 671 134. श्री वृन्दावन आदि तीर्थों के दर्शन 676 135. पठानों को प्रेम-दान और प्रयाग में प्रत्यागमन 680 136. श्री रूप को प्रयाग में महाप्रभु के दर्शन 684 137. महाप्रभु वल्लभाचार्य 689 138. महाप्रभु वल्लभाचार्य और महाप्रभु गौरांगदेव 695 139. रूप की विदाई और प्रभु का काशी-आगमन 699 140. श्री सनातन की कारागृह से मुक्ति और काशी में प्रभु-दर्शन 707 141. श्री सनातन का अद्भुत वैराग्य 712 142. श्री सनातन को शास्त्रीय शिक्षा 716 143. स्वामी प्रकाशानन्द जी मन से भक्त बने 724 144. श्री प्रकाशानन्द जी का आत्मसमर्पण 736 145. श्री सनातन वृन्दावन को और प्रभु पुरी को 742 146. प्रभु का पुरी में भक्तों से पुनर्मिलन 745 147. नीलाचल में सनातन जी 753 148. श्री रघुनाथदास जी का गृह त्याग 760 149. घुनाथदास जी का उत्कट वैराग्य 770 150. छोटे हरिदास को स्त्री-दर्शन का दण्ड 779 151. धन मांगने वाले भृत्य को दण्ड 785 152. गोपीनाथ पट्टनायक सूली से बचे 788 153. श्री शिवानन्द सेन की सहनशीलता 796 154. पुरीदास या कवि कर्णपूर 799 155. महाप्रभु की अलौकिक क्षमा 803 156. निन्दक के प्रति भी सम्मान के भाव 806 157. महात्मा हरिदास जी का गोलोकगमन 812 158. भक्त कालिदास पर प्रभु की परम कृपा 819 159. जगदानन्द जी के साथ प्रेम-कलह 823 160. जगदानन्द जी की एकनिष्ठा 829 161. श्री रघुनाथ भट्ट को प्रभु की आज्ञा 837 162. गम्भीरा-मन्दिर में श्री गौरांग 841 163. प्रेम की अवस्थाओं का संक्षिप्त परिचय 848 164. महाप्रभु का दिव्योन्माद 863 165. गोवर्धन के भ्रम से चटकगिरि की ओर गमन 867 166. श्री कृष्णान्वेषण 869 167. उन्मादावस्था की अदभुत आकृति 874 168. लोकातीत दिव्योन्माद 880 169. शारदीय निशीथ में दिव्य गन्ध का अनुसरण 883 170. श्री अद्वैताचार्य जी की पहेली 886 171. समुद्रपतन और मृत्युदशा 889 172. महाप्रभु का अदर्शन अथवा लीलासंवरण 894 173. श्रीमती विष्णुप्रिया देवी 901 174. श्री श्री निवासाचार्य जी 910 175. ठाकुर नरोत्तमदास जी 917 176. महाप्रभु के वृन्दावनस्थ छ: गोस्वामिगण 920 177. श्री चैतन्य–शिक्षाष्टक 931 178. अंतिम पृष्ठ 938 श्रेणी: तकनीकी साँचे