विषय सूची
गीता दर्पण -स्वामी रामसुखदास
8. गीता में फलसहित विविध उपासनाओं का वर्णन
ज्ञातव्य
उत्तर- भूत-प्रेत प्रायः श्मशान में, श्मशान के वृक्षों में रहते हैं। वे सरोवर के किनारे रहते हैं। वे सरोवर का पानी नहीं पी सकते, पर जल की ठंडी हवा उनको अच्छी लगती है, उससे उनको सुख मिलता है। पीपल के वृक्ष का स्वभाव सबको आश्रय देने का होने से उसकी छाया में भी भूत प्रेत रहते हैं। कोई उनके नाम से छतरी बनवा देता है तो वे उसके भीतर रहते हैं। कोई मकान कई दिन से सूना पड़ा हो तो उसमें भी भूत प्रेत रहने लग जाते हैं।
उत्तर- भूत प्रेतों का शरीर वायुप्रधान होता है अतः वे मनुष्य शरीर में किसी भी द्वार से प्रवेश कर सकते हैं। वे आँख, कान, त्वचा आदि किसी भी इंद्रिय से शरीर में प्रविष्ट हो सकते हैं। परंतु वे प्रायः मलिन द्वार से अर्थात् मल-मूत्र के स्थान से अथवा प्राणों से ही मनुष्य शरीर में प्रविष्ट होते हैं। |
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रम संख्या | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज