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गीता दर्पण -स्वामी रामसुखदास
2. गीता संबंधी प्रश्नोत्तर
उत्तर- युद्ध में विपक्ष की सेना पर विशेष व्यक्तियों का ही असर पड़ता है, सामान्य व्यक्तियों का नहीं। कौरव सेना के मुख्य व्यक्ति भीष्म जी के शंख बजाने के बाद संपूर्ण सैनिकों ने अपने-अपने (कई प्रकार के) बाजे बजाये, जिसका पांडव-सेना पर कोई असर नहीं पड़ा। परंतु पांडव सेना के मुख्य व्यक्तियों ने अपने-अपने शंख बजाये, जिनकी तुमुल ध्वनि ने कौरवों के हृदय को विदीर्ण कर दिया।
उत्तर- भीष्म जी का शंख बजते ही कौरव सेना के सब बाजे एक साथ बज उठे। अतः ऐसे समय पर अगर पांडव सेना के बाजे न बजते तो बुरा लगता, पांडव सेना की हार सूचित होती और व्यवहार भी उचित नहीं लगता। अतः भक्त पक्षपाती भगवान् ने पांडव सेना के सेनापति धृष्टद्युम्न की परवाह न करके सबसे पहले शंख बजाया। |
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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