विषय सूची
श्रीकृष्ण बाल माधुरी -सूरदास
अनुवादक - सुदर्शन सिंह
राग बिलावल(61) नन्दभवन के आँगन की मणिमय भूमिपर बाल-क्रीड़ा से श्याम के घूमने तथा तोतली वाणी पर मैं बार-बार बलिहारी जाता हूँ। गले में कठुला है, टेढ़े नखोंवाला बघनखा है और हीरों की माला है, जिसमें बहुत-से अमूल्य लाल लगे हैं, कमल के समान मुख है, गोरोचन का तिलक लगा है, अलकें लटकी हुई हैं और भौरों के समान हिलती हैं। हाथ में लिये मक्खन को मुख से लगाते हैं, कुछ खाते हैं और कुछ कपोलों में लग गया है। यह सेवक सूरदास कहाँतक वर्णन करे, श्रीनन्दरायजी का जीवन धन्य है-संसार में अपनी तुलना वह स्वयं ही है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रम संख्या | पद | पद संख्या |